क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में नो-बॉल टीमों के लिए काफी महंगी साबित होती है। गेंदबाजी करते समय यदि कोई गेंदबाज नो-बॉल करता है तो उस समय टीम अधिक दबाव महसूस करती है। ऐसा ही कई बार भारतीय टीम के साथ कुछ बड़े मुकाबलों के दौरान हुआ है जब सिर्फ एक नो-बॉल से भारतीय टीम को प्रतियोगिता से बाहर भी होना पड़ा।
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भारतीय टीम में कई ऐसे भी गेंदबाज हैं जिन्होंने अभी तक अपने करियर के महत्वपूर्ण मुकाबलों में एक भी नो-बॉल नहीं की है। लेकिन कई बार बड़े मैचों में नो-बॉल के कारण भारतीय फैंस का दिल टूटा है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम को एक नो-बॉल काफी महंगी पड़ी है। आइये ऐसे तीन महत्वपूर्ण मैचों की बात करते हैं जब भारतीय टीम को ICC इवेंट में एक नो-बॉल की भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
भारतीय टीम की तरफ से महत्वपूर्ण मैचों में की गयी तीन नो-बॉल
1. 2016 टी-20 वर्ल्ड कप सेमी-फाइनल
वर्ष 2016 में भारतीय टीम अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर ICC टी-20 वर्ल्ड कप के सेमी-फाइनल तक पहुंची थी और फैंस ट्रॉफी की उम्मीद कर रहे थे। टी-20 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड से हारने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को हराकर टीम ने सेमी-फाइनल में प्रवेश किया। सेमी-फाइनल में वेस्टइंडीज की टीम भारत का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
सेमी-फाइनल में वेस्टइंडीज ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। भारतीय टीम की तरफ से विराट कोहली ने 89 रनों का योगदान दिया उनके अलावा रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे ने भी टीम के लिए महत्वपूर्ण पारियां खेली और वेस्टइंडीज को 192 रनों का लक्ष्य दिया था। उसके बाद नो-बॉल के रूप में भारतीय टीम ने दो बार गलती की। पहली नो-बॉल रविचंद्रन अश्विन द्वारा सांतवे ओवर में की गयी जब लेंडल सिमंस पहली बार बच गए। उसके बाद दूसरी बार हार्दिक पांड्या ने भी यही गलती दोहराई और सिमंस को एक और जीवनदान दिया। अंत में सिमंस ने 51 गेंदों में 82 रनों की नाबाद पारी खेली और भारतीय टीम को ट्राफी से हाथ धोना पड़ा।