अगर किसी चीज़ की अच्छी शुरुआत हो तो उसका अंत भी अच्छा होना चाहिए और हम सभी ने इस बात को हमेशा सुना है. क्रिकेट में अधिकतर सभी महान खिलाड़ियों ने जिस तरह से अपने करियर को शुरू किया था उसका अंत भी उन्होंने उतनी ही खूबसूरती के साथ किया है. सचिन तेंदुलकर जिन्होंने अपने 24 साल के अंतर्राष्ट्रीय करियर का अंत काफी अच्छे से किया था.
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लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है. एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी का करियर काफी शानदार तो होता है लेकिन अंत नहीं. जिस तरह से फिलिप ह्यूज की अचानक मृत्यु हो जाने की वजह से सभी स्तब्ध रह गएँ थे. वहीँ फुटबॉल के मैदान में लियोनल मेसी जिन्होंने फीफा विश्वकप 2014, उसके बाद 2015 और 2016 में कोपा अमेरिका कप के फ़ाइनल में टीम को जीत नहीं दिला सके थे जिसके बाद उन्होंने सन्यास लेना के बारे में सोच लिया था.
हर खिलाड़ी अपने यह चाहता है कि वह अपना करियर उंचाई पर खत्म करें और उसे एक अच्छी विदाई मिल सके जिसमें सब कुछ शामिल हो लेकिन हर किसी को ऐसा नसीब नहीं हो पाता है. आशीष नेहरा जिन्होंने अपना करियर काफी लम्बे समय पहले शुरू किया था लेकिन इसके बावजूद उन्हें विदाई मैच खेलने का एक अवसर आखिर में मिल गया.
1. सुनील गावस्कर (1971-1981)
जी हाँ क्रिकेट में काफी लम्बे समय से खिलाड़ियों को उनके विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिलता रहा है लेकिन सुनील गावस्कर ने जो भारतीय क्रिकेट के लिए किया था उन्हें विदाई मैच जरुर मिलना चाहिए था. गावस्कर पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन बनायें थे तीसरे ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने 100 टेस्ट मैच खेले और जिन्होंने सबसे पहले सर डॉन ब्रेडमैन के 29 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ा था.
सुनील गावस्कर का बहरत के लिए आखिरी मैच 1987 के विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया है. वह उस विश्वकप का सेमीफाइनल मैच था जिसमें भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था इसके बाद गावस्कर को दुबारा भारतीय टीम से खेलने का मौका नहीं मिल सका लेकिन उन्होंने कुछ और समय तक खेलना जारी रखा पर दुबारा मौका नहीं मिलने की वजह से वह अपना विदाई मैच नहीं खेल सके.