टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में भारतीय टीम को सुपर-12 के ग्रुप-2 में अपना आखिरी मुकाबला 8 नवंबर को नामीबिया की टीम के लिए खेलना है। वहीं न्यूजीलैंड की अफगानिस्तान के खिलाफे जीत के साथ उनका सेमीफाइनल में पहुंचना रास्ता भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है। अभी तक इस मेगा इवेंट में यह साफतौर पर देखने को मिला है कि जो भी टीम लक्ष्य का पीछा कर रही है उसके लिए बल्लेबाजी करना काफी आसान हो जाता है। इसी को लेकर अब भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने अपनी सहमति जताई है कि बाद में बल्लेबाजी करने में काफी लाभ मिलता है।
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भारतीय टीम ने अभी तक इस टी-20 वर्ल्ड कप में 4 मुकाबले खेले हैं जिसमें टीम ने तीन मैचों में टॉस गंवाने के बाद पहले बल्लेबाजी की है। वहीं गेंदबाजी कोच ने लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को लेकर कहा कि उनके शामिल होने से टीम को अलग लाभ मिलता लेकिन यह चयनकर्ताओं का फैसला था।
भरत अरुण ने अपने बयान में कहा कि, वैसे तो टॉस का महत्व अधिकतर मैचों में ज्यादा नहीं होता है, लेकिन इस टूर्नामेंट में इसका पूरा विपरीत देखने को मिला है। क्योंकि पहले बल्लेबाजी करने और दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने के दौरान साफतौर पर बड़ा अंतर देखने को मिला है। ऐसा शॉर्टर फॉर्मेट में अधिकतर देखने को नहीं मिलता है।
वहीं चहल को लेकर अरुण ने कहा कि, यह चयनकर्ताओं का फैसला था हमें उस टीम के साथ खेलना है जिसका चयन किया गया है, मैं इस मामले में इससे अधिक नहीं कुछ कहना चाहता हूं।
लगातार 6 महीने से हम एक बायो-बबल में है
कोरोना महामारी आने के बाद खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर और भी अधिक मजबूत होना पड़ा है, जिसका प्रमुख कारण उन्हें बायो-बबल लगातार रहना भी है। भारतीय टीम के प्रमुख खिलाड़ी पिछले 6 महीनों से इस बबल का हिस्सा हैं, जो इंग्लैंड के दौरे से शुरू होने से लेकर टी-20 वर्ल्ड कप तक लगातार चलता आ रहा है।
गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने इसी पर कहा कि, लगातार 6 महीने इस माहौल में रहना बिल्कुल भी आसान काम नहीं है। खिलाड़ी अपने घर तक नहीं गए भले ही उन्हें आईपीएल के बाद एक छोटा सा ब्रेक भी मिला था। वह 6 महीने से इस बबल का हिस्सा हैं। जिसमें मैं यह कह सकता हूं कि यदि खिलाड़ियों को आईपीएल और वर्ल्ड कप के बीच में एक छोटा सा ब्रेक मिल जाता तो सभी के लिए काफी बेहतर होता।