Ashes bouncers controversy: ऑस्ट्रेलिया ने लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे एशेज टेस्ट मैच में 43 रनों से जीत दर्ज करते हुए सीरीज में 2-0 की बढ़त बनाई। इस मुकाबले में कई चीजों ने क्रिकेट जानकारों और विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा। जहां मिचेल स्टार्क के कैच और जॉनी बेयरस्टो के विवादित आउट पर खूब बवाल मचा।
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वहीं अब वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर माइकल होल्डिंग ने मुकाबले में अधिक बाउंसर के इस्तेमाल को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना कि उनके पूरे करियर के दौरान वेस्टइंडीज ने कभी भी लंबे समय तक बाउंसर नहीं फेंके, जैसा कि अब टीमें करती हैं। उन्होंने कहा लॉर्ड्स टेस्ट के चौथे दिन 98 प्रतिशत गेंदें शॉर्ट पिच फेंकी गई थीं।
होल्डिंग ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में कहा, मेरे करियर के दौरान कभी भी हमने इस तरह घंटों बाउंसर नहीं फेंके। लॉर्ड्स टेस्ट के चौथे दिन एक स्टेज पर 98 प्रतिशत शॉर्ट पिच गेंदें फेंकी गई थीं। क्या आपको लगता है कि इस रणनीति को लेकर अब कोई बवाल होगा? यह इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया खेल रहे हैं, वेस्टइंडीज नहीं।
70-80 के दशक में था वेस्टइंडीज पेस अटैक का दबदबा
बता दें कि 1932-33 एशेज सीरीज में इंग्लैंड के गेंदबाज डगलस जार्डिन ने डॉन ब्रैडमैन के खिलाफ शरीर की लाइन में बाउंसर की रणनीति अपनाई थी। इसके तहत पूरी तरह से पैक्ड लेग साइड में शरीर पर बाउंसर फेंके गए। उस समय इसको लेकर काफी बवाल हुआ, लेकिन कोई नियम नहीं बदला गया।
हालांकि, बाद के सालों में वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड और भारत के खिलाफ बॉडी लाइन अटैक करना शुरू कर दिया। इसकी वजह से 1935 में एक कानून लाया गया, जो अंपायरों को हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है अगर गेंदबाज डराने वाली गेंदबाजी कर रहे हों।
वहीं 1970 और 1980 के दशक के दौरान वेस्टइंडीज ने अपने स्किल और घातक पेस अटैक के साथ विश्व क्रिकेट पर अपना दबदबा बनाया। हालांकि, एक बार फिर बाउंसरों के लगातार इस्तेमाल और स्लो ओवर रेट को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।