टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने यो-यो फिटनेस टेस्ट की फिर से शुरूआत की। इस टेस्ट की वजह से तमाम खिलाड़ियों के भागदौड़ और उनकी फिटनेस को लेकर काफी चीजों के बारे में पता चलता है। जब विराट कोहली को भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था तब इस टेस्ट का इस्तेमाल किया गया था। उनका मानना था कि फिट खिलाड़ियों को ही टीम में शामिल किया जाएगा।
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हालांकि यह बात भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने यो-यो टेस्ट में वापस जाने के लिए BCCI का मजाक उड़ाते हुए कहा कि चयन समिति में अब पूर्व भारतीय क्रिकेटरों के बजाय चिकित्सा विशेषज्ञ होने चाहिए।
मिड डे के अपने कॉलम में लिखते हुए गावस्कर ने इस बात पर जोर डाला कि स्पिनर, तेज गेंदबाज और विकेटकीपरों को फिटनेस स्तर को सुधारने के लिए अलग-अलग चीजों की जरूरत होती है और इसी वजह से यो-यो टेस्ट काफी हद तक फेल हो जाएगा।
सुनील गावस्कर ने लिखा कि, ‘मैं जिस चीज पर विशेष बात करना चाह रहा हूं वो यह है कि फिटनेस एक व्यक्तिगत चीज है और सभी चीजों का अपना महत्व है। तेज गेंदबाजों को एक अपना अलग ही स्तर चाहिए, वहीं स्पिनरों का अपना स्तर होता है। विकेटकीपर और बल्लेबाजों को काफी फूर्ती दिखानी चाहिए और इसी वजह से उनको इस टेस्ट में थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।’
क्रिकेट फिटनेस को मुख्य रूप से ध्यान में रखा जाना चाहिए: सुनील गावस्कर
और हां ऐसे टेस्ट सार्वजनिक रूप में किए जाने चाहिए वह भी मीडिया के सामने जिससे यह पता चल सके कि कौन सा खिलाड़ी यो-यो टेस्ट में पास हुआ और कौन फेल।’
BCCI एक पैरामीटर के रूप में DEXA (डुएल एनर्जी एक्सरे एब्जाडॉरमेट्री) का भी उपयोग करेगी जो हड्डी घनत्व (Bone Density) और शरीर में वसा प्रतिशत (Body Fat Percentage) जैसे विभिन्न पहलुओं पर जांच करेगी।
सुनील गावस्कर ने आगे लिखा कि, ‘CAC ने तमाम लोगों का इंटरव्यू लिया था जिनको चयन समिति पैनल में शामिल किया गया था लेकिन इनमें से कोई भी एक जैव यांत्रिकी विशेषज्ञ या एक शरीर विज्ञान व्यक्ति नहीं था। क्योंकि अब बातें खिलाड़ी की फिटनेस पर आधारित होने जा रही है इसलिए पूर्व क्रिकेटरों की तुलना में चयन पैनल में इन विशेषज्ञों को रखना बेहतर हो सकता।’