बायो-बबल को छोड़ प्रीमियर लीग मॉडल अपनाने जा रहा है क्रिकेट

लंबे समय तक बायो-बबल में रहने से खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है।

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Sheikh Zayed Cricket Stadium. (Photo by Tom Dulat/Getty Images)

जब से कोविड-19 ने दुनिया भर में कदम रखा है, तब से बायो-बबल क्रिकेटर के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। हालांकि, बायो-बबल में लंबे समय तक रहना खिलाड़ियों को मानसिक रूप से काफी प्रभावित कर रहा है और यह उनके प्रदर्शन को भी प्रभावित कर रहा है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, क्रिकेट एक प्रीमियर लीग-प्रकार के मॉडल को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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12 नवंबर को ICC की मुख्य कार्यकारी समिति द्वारा आयोजित बैठक में सदस्यों ने माना है कि बायो-बबल मॉडल लंबे समय के लिए नहीं है। करीबी सूत्र की रिपोर्ट के अनुसार क्रिकेट जल्द ही एक प्रीमियर लीग मॉडल अपनाएगा जहां केवल संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटाइन में रखा जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से ICC के करीबी सूत्रों ने कहा है कि, “प्रीमियर लीग में वो करीबी सूत्रों को आइसोलेशन में नहीं भेजते हैं सिर्फ संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटाइन में किया जाता है।”खिलाड़ियों के लिए लंबे समय तक बबल में रहने से उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा है और यह अंत में यह उनके प्रदर्शन में दिख रहा है।

भारतीय टीम की बात करें तो वे छह महीने से ज्यादा समय से बायो-बबल में थी। इसकी शुरुआत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2019-2021 के फाइनल से हुई थी। जिसके बाद उनकी इंग्लैंड श्रृंखला और फिर IPL-2021 (यूएई फेज) और टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन किया गया।

बायो बबल को लेकर कई खिलाड़ी अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं

बायो बबल को लेकर कई दिग्गज अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। हाल ही में टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने बायो बबल को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि, “इस टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो तीनों फॉर्मेट खेलते हैं। बीते 24 महीने वो 25 दिन ही अपने घर रहे हैं। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन है। आपका नाम ब्रैडमैन ही क्यों न हो, आपका बल्लेबाजी औसत कम हो जाएगा क्योंकि आप एक इंसान हैं।”

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