इन पांच मैचों से जानिए वनडे क्रिकेट में धोनी क्यों हैं दुनिया के बेहतरीन मैच फिनिशर
अद्यतन - जनवरी 22, 2019 12:21 अपराह्न
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में हाल ही खेली गई वनडे क्रिकेट सीरीज एक नहीं दो बार ऑस्ट्रलियाई गेंदबाजों को गच्चा देकर भारत को खिताब जीता दिया। यह उनका ही कमाल था कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसके ही देश में हराकर इतिहास रच दिया। 37 वर्ष का यह विकेटकीपर बल्लेबाज अपने क्रिकेट करियर के आखिरी पड़ाव पर है लेकिन उन्हें अभी दुनिया का सबसे बेहतरीन मैच फिनिशर माना जाता है।
2004 में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने क्रिकेट के दोनों फॉर्मेट में (20 क्रिकेट और वनडे क्रिकेट) वर्ल्ड कप जीत लिया। उनका नाम दुनिया के उन बल्लेबाजों में शुमार किया जाता है जो टीम को छक्के से मैच जीताना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं धोनी की उन पांच पारियों के बारे में जिनसे साबित होता है कि वह दुनिया के सबसे बेहतरीन मैच फिनिशर है…
2007 में बांग्लादेश के खिलाफ 91 रनों की पारी : ढाका में खेले गए इस मैच में बांग्लादेश ने टीम इंडिया के सामने 251 रनों का लक्ष्य रखा था। जवाब में टीम इंडिया की शुरुआत बेहद खराब रही। देखते ही देखते टीम में 5 विकेट 144 रनों पर गिर गए। नंबर 3 पर बल्लेबाज के लिए उतरे धोनी ने यहां बेहतरीन संयम भरी पारी खेलते हुए भारत को मैच में वापसी दिलाई। उन्होंने दिनेश कार्तिक (51) के साथ मिलकर बेहतरीन साझेदारी की और टीम को मैच जीताकर ही पैवेलियन लौटे।
2013 में ट्रायनेशन सीरीज के फाइनल में खेली 45 रनों की पारी : भारत को इस मैच को जीतने के लिए मात्र 202 रन बनाने थे। हालांकि विकेट इतना खतरनाक था कि यह मामूली सा लक्ष्य भी पहाड़ से प्रतित हो रहा था। इस मैच में एक समय 32 ओवर में टीम का स्कोर 139 रन पर 3 विकेट था और ऐसा लग रहा था कि टीम आसानी से यह मैच जीत जाएगी। लेकिन रंगना हैरात ने इस समय चार विकेट लेकर भारतीय टीम को बैकफुट पर धकेल दिया। इस मुश्किल घड़ी में धोनी अंत तक मैदान में डटे रहे। आखिरी ओवर में टीम को जीत के लिए 15 रन चाहिए थे लेकिन पहली तीन गेंदों पर 2 छक्के और 1 चौके की मदद भारत को यह मैच आसानी से जीता दिया।
सीबी सीरीज 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 44 रन: इस मैच में धोनी ने बताया था कि दबाव के क्षणों में किस तरह बल्लेबाजी की जाती है। भारत को इस मैच को जीतने के लिए 270 रनों का लक्ष्य मिला था। मैच में 92 रन बनाकर बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहे गौतम गंभीर 35 वें ओवर में आउट हो गए। उस समय टीम का स्कोर 178/4 था।
इस मुश्किल समय में मैदान में आए धोनी ने सुरेश रैना (38) के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 61 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। इस मुश्किल समय में पहले रैना और फिर रविंद्र जडेजा भी आउट हो गए। भारत को अंतिम ओवर में मैच जीतने के लिए 13 रन चाहिए थे। ऐसा लग रहा था कि भारत यह मैच हार जाएगा लेकिन धोनी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को मैच जीताकर ही दम लिया।
2019 में तीसरे वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 87 रनों की पारी : धोनी ने इस मैच में नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते हुए बेहद संयम के साथ रन बनाए। 49 ओवर तक विकेटकीपिंग करने के बाद धोनी ने एक बल्लेबाज के रूप में यहां 33 ओवर तक बल्लेबाजी की। इस मैच में उन्होंने अपना 70वां अर्धशतक भी पूरा किया। हो सकता है कि वह वर्ल्ड कप में भी इसी नंबर पर बल्लेबाजी करते दिखाई दें।
2011 के विश्व कप फाइनल में 91 रनों की जबरदस्त पारी: टीम इंडिया को इस मैच में जीत के लिए 275 रनों का लक्ष्य मिला था। टीम को 30 ओवरों में लगभग 161 रन चाहिए थे और 3 प्रमुख बल्लेबाज पैवेलियन लौट चुके थे। ऐसे में कप्तान धोनी ने बल्लेबाजी की कमान संभाली और पहले संयम के साथ बल्लेबाजी की और अंतिम ओवरों में बेहतरीन पारी खेलकर टीम को मैच जीता दिया।