धोनी को आखिर क्यों वर्ल्ड कप तक खेलना चाहिए? ये हैं चार कारण जो है मज़बूत जवाब

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MS Dhoni (Photo by Gareth Copley/Getty Images)

भारतीय क्रिकेट में युग पुरुष बनने की राह पर महेंद्र सिंह धोनी हैं, इस बात से कई क्रिकेट फैंस सहमत होंगे। धोनी के लिए साल 2018 आलोचना भरा रहा जिसमें वे कोई अर्धशतक नहीं लगा सके। लेकिन साल 2019 की शुरुआत तो उनके लिए जैसे किसी परी कथा की तरह हुई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ के तीनों मैचों में अर्धशतक और 193 का औसत। क्या बात है।

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इस पर्फॉर्मेंस के बाद उन्हें ‘मैन ऑफ़ द सीरीज़’ चुना गया और यह पुरस्कार जीतने वाले सबसे उम्रदराज भारतीय भी बने। धोनी को अब तक के करियर में इनमें से सात सम्मान मिल चुके हैं।

कुछ आलोचकों का कहना है कि धोनी में अब अब पुरानी चमक खो गई है और ऋषभ पंत के उदय के बाद तो लोगों ने यहां तक कह दिया कि पंत को वर्ल्ड कप टीम में जगह देनी चाहिए। हलांकि अब इस बहस पर विराम लग गया, क्योंकि माही मार रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर धोनी को वर्ल्ड कप टीम में क्यों होना चाहिए। पांच कारण।

मैदान से बाहर तीन महीने बिताने के बाद कठिन ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में खेलते हुए टीम को जीत दिलाई। भले ही उन्होंने पुराने धोनी को नहीं देखा, लेकिन उन्होंने यह निश्चित रूप से यह साबित किया कि उनमें अभी भी बहुत कुछ बचा है।

पिछले कुछ महीनों में, विश्व कप 2019 के बाद 37 साल के इस विकेटकीपर बल्लेबाज़ के बारे में कई बातें हुई हैं। कई मानना था कि धोनी पिछले साल खराब प्रदर्शन के बाद एक अर्धशतक लगाने में नाकाम रहे थे, ऐसे में पंत के लिए उन्हें जगह खाली कर देने चाहिए। लेकि जैसा कि धोनी खुद कहते हैं उनके खेल के बारे में फैसला वे ही करेंगे।

गेंदबाज़ों को करते हैं गाइड : जब से उन्होंने कप्तानी छोड़ी है, एमएस धोनी ने भारतीय टीम के लिए एक संरक्षक की भूमिका निभाई है। खुद कप्तान विराट कोहली कहते हैं कि धोने को बहुत अच्छ केलकुलेट करते हैं। धोनी गेंदबाज़ों को विकेट के पीछे से लगातार सलाह देते हैं। उनके इस फन को दूसरा कोई खिलाड़ी निभा नहीं सकता।

डीआरएस याने धोनी रिव्यू सिस्टम : जब भी कभी टीम को डीआरएस की ज़रूरत पड़ती है धोनी की भूमिका सबसे अहम हो जाती है। कोहली भी उनसे पूछकर ही रिव्यू लेते हैं। डीआरएस में धोनी की सफलता को देखते हुए इसे धोनी रिव्यू सिस्टम तक कहा जाता है। धोनी को ठीक पता होता है कि डीआरएस कब लेना है।

फिनिशर की भूमिका : वनडे क्रिकेट में फिनिशर का मतलब सिर्फ यह नहीं कि निचले क्रम पर आकर रन बनाएं जाएं बल्कि यह भी है कि सिचुएशन के हिसाब से गेम को केलकुलेट करें और टेललेंडर्स के साथ छोटी छोटी लेकिन उपयोगी साझेदारी निभाएं। धोनी को इस काम में एक दशक से अधिक का अनुभव है। इसलिए उन्हें वर्ल्ड कप टीम में होना ही चाहिए।

कप्तानों के कप्तान : कप्तान कोहली को हर सिचुएशन में कोहली की ज़रूरत पड़ती है। धोनी को खिलाड़ियों की भूमिका तय करने से लेकर गेंदबाज़ों के क्रम के अनुसार फील्ड सेट करने का लंबा अनुभव है। वे इस मामले में वर्ल्ड कप टीम में बहुत बड़े असेट साबित हो सकते हैं।

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