सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने हाल ही में मुंबई इंडियंस के लिए अपना IPL डेब्यू किया। लगभग 3 साल के बाद उन्होंने IPL में अपना डेब्यू किया। टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने उन्हें डेब्यू कैप दी।
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पहले मैच में अर्जुन तेंदुलकर ने सिर्फ 2 ओवर फेंके और वो भी दोनों पावरप्ले में। दो ओवर में उन्होंने कुल 18 रन दिए। अपने दूसरे इंडियन प्रीमियर लीग मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ अर्जुन तेंदुलकर ने इस लीग का अपना पहला विकेट झटका। उन्होंने भुवनेश्वर कुमार को अपना शिकार बनाया। सनराइजर्स हैदराबाद को मैच जीतने के लिए आखिरी ओवर में 20 रनों की जरूरत थी। रोहित शर्मा ने अर्जुन तेंदुलकर को यह ओवर दिया और उन्होंने 5 रन देकर भुवनेश्वर कुमार का विकेट झटका।
आज यानी 22 अप्रैल को मुंबई इंडियंस को अपना मैच पंजाब किंग्स के खिलाफ खेलना है और इस मैच से पहले पूर्व भारतीय क्रिकेटर प्रज्ञान ओझा ने अर्जुन तेंदुलकर को लेकर बड़ा बयान दिया है।
अर्जुन तेंदुलकर के प्रदर्शन से काफी खुश हैं प्रज्ञान ओझा
प्रज्ञान ओझा ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, ‘मुझे लगता है एक युवा खिलाड़ी होने के नाते जो अपना दूसरा ही मैच खेल रहे हैं, अर्जुन तेंदुलकर ने यह दिखाया है कि उन्होंने काफी कड़ी मेहनत की है और उसी वजह से वो आज इस मुकाम पर हैं। जो ओवर अर्जुन ने फेंके उनको फेंकना इतना आसान नहीं था।
खासतौर पर उस खिलाड़ी के लिए जो अपना दूसरा ही मैच खेल रहे हैं। जो चीजें उन्होंने सोचा उनके साथ वैसा ही हो रहा है। वो बल्लेबाजों को स्विंग गेंद फेंकने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें अर्जुन कामयाब भी हो रहे हैं। उन्होंने योर्कर गेंद फेंकने की भी कोशिश की और वो भी उन्होंने अच्छी तरह से फेंका। उनके पास कला है और अब उन्हें बस थोड़ी और मेहनत करने की जरूरत है।’
जहीर खान के साथ हुई बातचीत को लेकर ओझा ने आगे कहा कि, ‘मैं जहीर खान से इसी चीज को लेकर बातचीत कर रहा था और उन्होंने मुझे बताया कि अर्जुन उन खिलाड़ियों में से हैं जिनको नेट्स में यह बोलना पड़ता है कि अब अभ्यास पूरी तरह से खत्म हो चुका है और अब आप नेट्स से बाहर जा सकते हैं। वो भले ही एक दिग्गज के बेटे हैं लेकिन उन्हें अभी भी काफी कुछ सीखना है। टी-20 क्रिकेट तेजी से बदल रहा है और आपको ज्यादा से ज्यादा कला आनी चाहिए।’
बता दें, भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तेंदुलकर को लेकर 2012 में कहा था कि, ‘ अंडर-15 के दौरान सचिन तेंदुलकर को बल्लेबाजी करना काफी पसंद थी और हमारे कोच को सचिन को नेट्स से बाहर करना पड़ता था ताकि दूसरे बल्लेबाज भी बल्लेबाजी कर सकें।’