एमएस धोनी को पहेली बताते हुए पूर्व भारतीय ट्रेनर ने दिग्गज क्रिकेटर की फिटनेस का खोला राज

पूर्व भारतीय ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन ने 2011 वर्ल्ड कप को लेकर किए अहम खुलासे।

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MS Dhoni. (Photo Source: IPL/BCCI)

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन ने पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज और चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के वर्तमान कप्तान एमएस धोनी की तारीफ करते हुए उनकी तुलना सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक सचिन तेंदुलकर से की और उन्हें एक बेशकीमती क्रिकेटर बताया।

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एमएस धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वह मुकाम हासिल किया, जिसकी लोगो ने कल्पना भी नहीं थी।  करिश्माई कप्तान ने भारत को 2007 टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी दिलाई। खैर, एमएस धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन उन्होंने अभी भी आईपीएल (IPL) में सीएसके (CSK) के लिए खेलना जारी रखा है। 40 वर्ष के ऊपर के हो जाने के बावजूद इस इस सीजन में जिस तरह से उन्होंने फुर्ती दिखाई और बल्लेबाजी की वह काबिले तारीफ है।

रामजी श्रीनिवासन ने एमएस धोनी को एक पहेली बताया

हालांकि, एमएस धोनी ने आईपीएल 2022 (IPL 2022) में केवल एक अर्धशतक के साथ 232 रन ही बना पाए, लेकिन वह अभी भी स्टंप के पीछे बहुत तेज है, और विकेटों के बीच भी बेहद तेजी से दौड़ लगाते हैं, जिससे उनकी फिटनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बीच, एमएस धोनी के साथ काम कर चुके रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि महान क्रिकेटर की सजगता आज भी बिल्कुल F1 ड्राइवर जैसी है।

रामजी श्रीनिवासन ने इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से कहा: “एमएस धोनी एक पहेली है, और सचिन तेंदुलकर की तरह ही वह भारतीय क्रिकेट का एक बेशकीमती हीरा है। धोनी  हमेशा वही चीज करते हैं जो उन्हें सूट करती है, चाहे फिर वह ताकत का काम हो, चपलता या फुर्ती दिखाना हो, या फिर गति या हाइब्रिड का काम हो। उनके पास फॉर्मूला वन ड्राइवर की तरह अद्भुत सजगता और 5-स्टार जनरल जैसा दिमाग है। ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे, जो इस उम्र में पहुंचने के बाद भी एमएस धोनी की फिटनेस की बराबरी कर पाएंगे।”

रामजी श्रीनिवासन 2011 वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय टीम का हिस्सा थे और उन्होंने खुलासा किया कि खिलाड़ी मानसिक और शारीरिक रूप से एक साल पहले ही टूर्नामेंट के लिए तैयार थे, और वे किसी भी कीमत पर यह ट्रॉफी जीतना चाहते थे। प्रत्येक खिलाड़ी ने खुद को फिट रखने के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी ली हुई थी और बतौर स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच मैंने कभी भी उनकी क्षमता से आगे फिटनेस पर काम करने के लिए मजबूर नहीं किया।

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