जातिवाद का मुद्दा क्रिकेट के खेल में समय-समय पर सामने आता रहा है, यह अब भरतीय क्रिकेट में भी सामने आया है। क्रिकेटोलॉजिस्ट के नाम से एक ट्विटर हैंडल ने खेल की बारीकियों का वर्णन करने के लिए पूर्व भारतीय स्पिनर और वर्तमान कमेंटेटर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन की प्रशंसा की। उसमे आगे कहा ये भी कहा गया है कि युवा स्पिनरों और कोचों को खेल की तकनीकी के बारे में अधिक जानने के लिए शिवरामकृष्णन की बात सुननी चाहिए।
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क्रिकेटोलॉजिस्ट नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “आलोचनाओं का सामना करने के बाद भी लक्ष्मण शिवरामाकृष्णन जैसे लोग अपने स्पिन के बारे में जितना बात करते हैं, वह उतने अच्छे लगते हैं। स्पिन की छोटी बारीकियां, बारीक पहलू और तकनीकी बातें वो किसी भी युवा स्पिनर या कोचों को सुनने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं।”
और अब इस ट्वीट पर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने भी जवाब दिया है। पूर्व भारतीय स्पिनर ने ट्वीट किया कि जीवन भर रंग के आधार पर उनकी आलोचना की गई और उनके साथ भेदभाव किया गया। यह कहते हुए कि इस तरह की आलोचना अब उन्हें परेशान नहीं करती है, शिवरामकृष्णन ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भारत में इस तरह का भेदभाव बहुत होता है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
शिवरामकृष्णन ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, “मैंने अपनी पूरी जिंदगी रंग के कारण भेदभाव और आलोचना का सामना किया है, इसलिए यह मुझे अब परेशान नहीं करता। दुर्भाग्य से यह मेरे अपने देश में हुआ।”
यहां देखिए शिवरामकृष्णन का वह ट्वीट
I have been criticised and colour discriminated all my life, so it doesn’t bother me anymore. This unfortunately happens in our own country
लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने भारतीय के लिए 9 टेस्ट और 16 एकदिवसीय मैच खेले हैं। अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 26 विकेट लिए, वहीं लेग स्पिनर ने खेल के एकदिवसीय प्रारूप में 15 खिलाड़ियों को अपना शिकार बनाया। 55 वर्षीय शिवरामकृष्णन ने भारतीय टीम के लिए अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 1987 में खेला था। खेल से संन्यास लेने के बाद, शिवरामकृष्णन ने कमेंट्री करते हुए नजर आते हैं और वह आधुनिक युग के प्रतिष्ठित कमेंटेटरों में से एक हैं।