ओलंपिक एथलीट की तरह विराट कोहली को ट्रैन किया करते थे बासु शंकर

बासु शंकर ने कहा उन्होंने कभी विराट कोहली जैसा इंसान नहीं देखा।

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Novak Djokovic and Virat Kohli (Image Source: Twitter)

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच बासु शंकर ने फिटनेस के लिए विराट कोहली के समर्पण और जुनून की सराहना की। बासु ने आगे खुलासा किया कि साल 2015 में, जब कोहली पीठ में अकड़न से पीड़ित थे, तो उन्होंने अपनी फिटनेस ट्रेनिंग में बदलाव किया और जल्द ही उन्होंने अपना फॉर्म दोबारा हासिल कर लिया। उन्होंने यह भी बताया कोहली ने उन्हें एक क्रिकेटर की तरह नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत एथलीट की तरह ट्रैन करने के लिए कहा था।

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बासु शंकर ने आरसीबी पॉडकास्ट सीजन 2 के हवाले से कहा: ‘फिटनेस को लेकर विराट कोहली के बदलाव और जुनून का पूरा श्रेय खुद क्रिकेटर को जाता है। मैं उन्हें साल 2009 से देख रहा हूं। विराट ने साल 2014 में मुझे बताया था कि उनकी पीठ में अकड़न है और पूछा कि क्या आप इसके बारे में कुछ कर सकते हैं? यह सिर्फ छह हफ्ते के लिए था और हम तब ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। लेकिन फिर साल 2015 में उन्होंने कहा कि आपको मेरी फिटनेस को लेकर कुछ करना चाहिए।

मैं विराट को नोवाक जोकोविच का खूब उदाहरण दिया करता था: बासु शंकर

इसलिए, मैंने उनसे कहा कि हम आपके लिए एक टेम्पलेट तैयार करेंगे और मुझे आपकी ट्रेनिंग में बड़े बदलाव करने होंगे, जो आप अभी कर रहे हैं। उन्होंने बहुत सारे तकनीकी सवाल पूछे और बहुत आगे-पीछे सोचने समझने के बाद उन्होंने कहा: ‘ठीक है, शुरू करते हैं’।’ कोच ने यह भी खुलासा किया कि कैसे वह विराट कोहली को टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच का उदाहरण देते थे और उन्हें ओलंपिक एथलीट की तरह ट्रेनिंग करने की सलाह देते थे।

बासु शंकर ने आगे कहा: ‘विराट ने मुझे भारतीय स्क्वैश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल को ट्रैन करते हुए देखा, और उस समय वह टॉप 10 खिलाड़ियों में शामिल थी। इसलिए, कोहली ने मुझसे कहा कि मुझे एक क्रिकेटर की तरह मत लो, बल्कि मेरे साथ एक एथलीट की तरह काम करो। इसलिए, मैंने उनसे कहा कि आपको एक ओलंपिक एथलीट की तरह ट्रेनिंग करनी होगी और तब मैं विराट को नोवाक जोकोविच का खूब उदाहरण दिया करता था ।

मैं शायद कुछ ज्यादा बोल रहा हूं या फिर बार-बार उनकी तारीफ कर रहा हूं, लेकिन मैंने कभी विराट कोहली जैसा इंसान नहीं देखा। वह हर दिन जीवन की सरल और सबसे उबाऊ चीजें कर सकता है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह मैदान पर प्रदर्शन कर रहा है या नहीं। लेकिन उत्कृष्टता के प्रति वह उत्साह और असाधारण जुनून मन को चकरा देने वाला है। इससे मुझे अपना सिलेबस उनके सामने रखने में मदद मिली।’

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