भारत में वनडे विश्व कप का मुकाबला बस कुछ ही दिनों में खेला जाना है। यह टूर्नामेंट 5 अक्टूबर से 19 नवंबर तक खेला जाना है। वहीं बड़े टूर्नामेंट में ओस की बड़ी भूमिका होगी। अब इसे ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने बड़ा प्लान तैयार किया है।
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ज्यादातर स्थानों पर अक्टूबर-नवंबर के दौरान बहुत ओस पड़ने की उम्मीद है। ड्यू के कारण टॉस भारत में खेले जाने वाले मुकाबले में काफी अहम रोल निभा सकता है। दरअसल 2021 में भी यूएई में हुए टी20 विश्व कप में भी ओस का प्रभाव बहुत पड़ा था और दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम को काफी फायदा हुआ था। बता दें भारतीय परिस्थितियां आमतौर पर स्पिन के लिए अधिक अनुकूल होती हैं।
ICC ने क्यूरेटरों से पिचों पर ज्यादा घास छोड़ने के लिए कहा है
ऐसे में ICC ने क्यूरेटरों से पिचों पर जितना ज्यादा संभव हो उतना घास छोड़ने के लिए कहा है। ताकि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि तेज गेंदबाज खेल में बने रहें। ICC के इस फैसले के कारण अब सभी टीमें अपनी प्लेइंग इलेवन में ज्यादा से ज्यादा तेज गेंदबाज रखना चाहेंगी।
वहीं एक रिपोर्ट की माने तो, भारत के उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में इस समय भारी ओस पड़ने की संभावना जताई गई है। ऐसे में चेन्नई और बेंगलुरु में होने वाले मैचों में हल्की बारिश होने की भी संभावना है। ओस का सबसे ज्यादा असर स्पिनरों के प्रदर्शन पर पड़ सकता है। अधिक घास के साथ, टीमों को स्पिनरों पर उतना निर्भर नहीं रहना होगा।
सूत्र का कहना है कि, वनडे मैचों को दिलचस्प बनाने के लिए बहुत अधिक स्कोर की आवश्यकता नहीं है। इंटरनेशनल मैचों के लिए सीमाओं का न्यूनतम आकार लगभग 65 मीटर और अधिकतम 85 मीटर है। पुराने सेंटर्स का बाउंड्री साइज लगभग 70-75 मीटर है। ऐसे में ICC का कहना है कि बॉउंड्रीज़ को 70 मीटर से अधिक रखा जाना चाहिए।