वर्ल्ड कप विजेता भारतीय खिलाड़ी क्यों कर रहा है अब मजदूरी का काम?
नरेश तुम्दा उस भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा थे जिसने 2018 में शारजाह में पाकिस्तान को हराकर नेत्रहीन वर्ल्ड कप जीता था।
अद्यतन - अगस्त 10, 2021 12:56 अपराह्न
किसी भी क्रिकेटर के लिए वर्ल्ड कप जीतना सबसे बड़ा सपना होता है। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होता है लेकिन भारत का एक खिलाड़ी ऐसा भी है जिसने अपने देश के लिए वर्ल्ड कप जीता लेकिन उसके बाद उन्हें कुछ खास हासिल नहीं हुआ। नरेश तुम्दा ने 2018 में शारजाह में पाकिस्तान को हराकर भारत के लिए नेत्रहीन वर्ल्ड कप जीता था लेकिन आज उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मजदूर के रूप में काम करना पड़ रहा है।
नरेश ने महज पांच साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया और एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर के रूप में उभरकर सामने आए। अपने प्रदर्शन के दाम पर नरेश ने 2014 में गुजरात की टीम में अपनी जगह बनाई। उसके बाद उन्हें जल्द ही भारत की राष्ट्रीय टीम में भी शामिल कर लिया गया। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज वर्ल्ड कप विजेता टीम का खिलाड़ी अपने जीवन यापन के लिए मजदूर के रूप में काम कर रहा है।
सरकारी नौकरी हासिल करने की कोशिश की
नरेश ने अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए कई सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया लेकिन कहीं से भी उन्हें सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसके बाद इस क्रिकेटर ने भारत सरकार से नौकरी के लिए अपील की। एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सरकार को लिखा कि “मैं एक दिन में 250 रुपए कमाता हूं। मैं सरकार से मुझे सरकारी नौकरी देने का आग्रह करता हूं जिससे मैं अपना जीवन यापन अच्छे से कर सकूं”।
नरेश तुम्दा की राह में आईं कई रुकावटें
नरेश के परिवार में पांच लोग हैं और उन पांचों के बीच नरेश अकेले कमाने वाले व्यक्ति हैं। अपनी बातचीत के दौरान नरेश ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि सब्जी बेचने से जो पैसा मिलता था, उससे परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं इसलिए उन्होंने मजदूर के रूप में काम करना शुरू किया। तुम्दा की यह संघर्षपूर्ण कहानी भारत में विकलांग क्रिकेटरों की स्थिति बयां करती है। नरेश तुम्दा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि जब भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप जीतती है तो सरकार उन पर पैसों की बरसात करती है। क्या हम अंधे होने की वजह से उनसे कम खिलाड़ी हैं? समाज को हमारे साथ समान व्यवहार करना चाहिए।