इस समय दुनिया के सबसे अच्छे विकेटकीपर-बल्लेबाजों में से एक दक्षिण अफ्रीका के क्विंटन डी कॉक ने भारत के खिलाफ सेंचुरियन टेस्ट के बाद क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप से अचानक संन्यास ले लिया। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने पहले बच्चे के जन्म के कारण दूसरे टेस्ट के लिए अपनी अनुपलब्धता की बात कही थी, लेकिन उनके इस फैसले की उम्मीद किसी को भी नहीं थी।
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वह युवा दक्षिण अफ्रीकी टीम के अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं और सभी प्रारूपों में उनका शानदार रिकॉर्ड है। उन्होंने संन्यास के पीछे अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने को कारण बताया था। पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ इस फैसले से हैरान थे जबकि शॉन पोलाक ने दिनेश कार्तिक से बातचीत में इसपर एक अलग राय रखी।
लगातार बायो-बबल ने क्विंटन डी कॉक पर असर डाला: शॉन पोलाक
शॉन पोलक को यकीन था कि दो साल पहले एबी डीविलियर्स की तरह टेस्ट में वापसी करने के लिए डि कॉक से संपर्क किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बायो-बबल के पीछे मानसिक थकान और खेल से दूर कुछ समय बिताने की उनकी इच्छा भी उनके अचानक फैसले का कारण हो सकती है।
पोलाक ने कहा, “मुझे तो यह भी लगता है कि इस पूरे प्रकरण का अंत यहां नहीं होने वाला। मुझे लगता है कि दो-तीन साल बाद एबी की तरह ही डी कॉक के वापस आने के लिए चर्चाएं शुरू हो जाए। मुझे लगता है कि बायो-बबल और लगातार घर से दूर रहने से शायद खिलाड़ियों पर मानसिक रूप से इसका असर पड़ रहा है। ‘क्विनी’ एक ऐसा व्यक्ति है जिसे शिकार करना और मछली पकड़ने जाना पसंद है, जो वह क्रिकेट के चलते नहीं कर पा रहा है।”
पोलाक ने टी-20 लीग को लेकर एक अलग दृष्टिकोण दिया और इसके उत्साह से टेस्ट क्रिकेट पर होने वाले असर पर बात की। डी कॉक ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और 54 टेस्ट खेले, जिसमें उन्होंने 38.8 की औसत से 3300 रन बनाए। उनका रिकॉर्ड निश्चित रूप से बताता है कि उनका करियर लंबा हो सकता था और अधिकांश विशेषज्ञ ऐसा ही मानते हैं।
पोलाक ने कहा, “जाहिर है अपने करियर के इस पड़ाव पर आप इस बात पर गौर करते है कि कौन सा प्रारूप है जिसको लेकर आप वास्तव में उत्साहित हैं। आप जानते हैं कि बहुत सी टी-20 लीग हैं जहां आप बेहद शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं और साथ ही काफी मस्ती भी कर सकते हैं जिससे आपके शरीर से थोड़ा सा तनाव हट जाए।”