क्रिकेट में बाउंसरों की गेंदबाजी को लेकर चल रही बहस के पीछे, मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि शॉर्ट-पिच गेंदबाजी पर प्रतिबंध लगाने या इसके आसपास के किसी भी कानून को बदलने की तत्काल आवश्यकता नहीं है। ICC के मौजूदा नियमों के अनुसार, एक ओवर में सिर की ऊंचाई तक दो बाउंसर की अनुमति है।
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एमसीसी जिस निष्कर्ष पर पहुंचा है, वह मौजूदा कानूनों द्वारा समर्थित है जो बल्लेबाजों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही अगर गेंदबाज तय सीमा से अधिक बाउंसर डालता है गेंदबाजों पर नो-बॉल, बल्लेबाजी टीम को अतिरिक्त रन और संभावित निलंबन के रूप में विभिन्न प्रकार से दंडित भी किया जाता है।
एमसीसी के जेमी कॉक्स ने क्रिकबज के हवाले कहा कि, “कानूनों में किसी भी संभावित बदलाव के साथ, मुख्य पहलू यह सुनिश्चित करना है कि यह खेल के सभी स्तरों के लिए उपयुक्त है। हम सब सोच समझकर इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कानून के तहत शॉर्ट-पिच गेंदबाजी खेल के स्वरूप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और वास्तव में, इसे बदलने से खेल बदल जाएगा।”
फिलिप ह्यूज के मृत्यु के बाद शॉर्ट पिच गेंद को लेकर काफी बहस हुई
विशेष रूप से, हाल के दिनों में हेलमेट/सिर पर चोट लगने के कारण कई क्रिकेटरों को कई तरह की चोटें आई हैं। इसका सबसे बुरे उदाहरण 2014 के दिसंबर में देखने को मिला जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज एक घरेलू मैच में शॉर्ट-बॉल से गर्दन पर चोट लगने के कारण उनकी मौत हो गई थी। ह्यूज के असामयिक और चौंकाने वाले निधन ने पिछले कुछ समय में सुरक्षा उपायों और सुरक्षित हेलमेट डिजाइनों में विभिन्न संशोधनों को मजबूर किया।
2021 में एमसीसी ने यह पता लगाने का फैसला किया कि क्या बाउंसर गेंद को लेकर मौजूदा कानून आधुनिक खेल की गतिशीलता के अनुकूल है या नहीं। क्योंकि आज कल कई खिलाडी हेलमेट पर चोट लगने की वजह से चोटिल हो रहे हैं। प्रतिष्ठित क्रिकेट संस्था ने भी माना है कि गेंद और बल्ले के बीच सही संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में कंकशन संबंधी चोट को किसी भी अन्य चोट से अलग माना जाना चाहिए।