मयंक अग्रवाल के नाम की इस समय धूम है और उन्हें ऑस्ट्रेलिया के दौरे की खोज कहा जा रहा है। भारतीय क्रिकेट टीम ओपनिंग बैट्समैन के मामले में इंग्लैंड दौर से जूझ रही है और इस पर कुछ हद तक मयंक अग्रवाल ने अंकुश लगा दिया है। मेलबर्न और सिडनी टेस्ट में शानदार बल्लेबाजी कर उन्होंने अपना स्थान टीम में बना लिया है।
Advertisement
Advertisement
मेलबर्न टेस्ट बॉक्सिंग डे पर शुरू हुआ और 70 हजार लोगों के बीच मयंक ने टेस्ट कैप पहनी। मयंक का कहना है कि एमसीजी में शुरुआत करना बहुत बड़ी बात है। कप्तान कोहली ने कैप देकर कहा कि बड़ा स्टेज और मौका है तो मयंक इमोशनल हो गए थे, लेकिन उन्होंने तुरंत अपनी भावनाओं पर काबू किया।
मयंक ने अपनी पहली टेस्ट इनिंग में ही 76 रन बना डाले। दूसरी पारी में भी 42 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी बल्लेबाजी प्रभावित करने वाली थी। डिफेंस उनका मजबूत नजर आया और ढीली गेंदों को भी सीमा रेखा के पार पहुंचाने में उन्होंने कोई कोताही नहीं बरती। ऑस्ट्रेलिया की बाउंस लेती पिचों पर वे तेज गेंदबाजी के सामने दीवार की भांति मजबूती के साथ खड़े नजर आए। पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क ने मयंक को आउट करने के लिए हर हथकंडे अपनाए और कई बाउंसरों से उन्हें डराने की कोशिश भी की लेकिन भारत का यह जुझारु बल्लेबाज मैदान पर डटा रहा। इसके बाद सिडनी टेस्ट में भी पहली पारी में उन्होंने शानदार 77 रन बनाए।
पायलट बनते-बनते बन गया क्रिकेटर
आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मयंक क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे। बीसीसीआई टीवी को दिए गए इंटरव्यू में मयंक ने कहा कि उन्हें बचपन से हवाई जहाज का शौक रहा है। वे पायलट बनने का सपना देख रहे थे। कर्नाटक के लिए खेलने के बाद उन्होंने सोचा कि क्रिकेटर का करियर भी उनके सामने एक ऑप्शन है। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने क्रिकेट भी जारी रखा और क्रिकेटर बन गए। अब मयंक क्रिकेट बेहतर खेलते हैं या हवाई जहाज बेहतर उड़ाते? इसका जवाब देने पर कोई पुरस्कार नहीं है।