हसीन जहां ने बढ़ाई मोहम्मद शमी की मुश्किलें; क्रिकेटर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

पश्चिम बंगाल के सेशन कोर्ट ने मोहम्मद शमी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी थी।

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Mohammad Shami and Hasin Jahan. (Image Source: Getty Images/Instagram)

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए क्रिकेटर के खिलाफ न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसने उनके पति के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक हटाने की मांग वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

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पश्चिम बंगाल के सेशन कोर्ट ने मोहम्मद शमी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी थी। आपको बता दें, हसीन जहां द्वारा दायर याचिका में अदालत को सूचित किया गया कि 29 अगस्त 2019 को अलीपुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा शमी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। जिसके बाद भारतीय क्रिकेटर ने सेशन कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने 9 सितंबर को 2019 को गिरफ्तारी वारंट और आपराधिक मुकदमे की पूरी कार्यवाही पर रोक लगा दी।

जिसके बाद हसीन जहां ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आगे गिरफ्तारी वारंट के लिए गुहार लगाई, लेकिन अदालत ने 28 मार्च, 2023 की याचिका को खारिज कर दिया। नतीजन शमी की पत्नी अब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है।

गंभीर आरोपों के साथ मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि मोहम्मद शमी उससे दहेज की मांग करता था और प्रोस्टीटूट्स के साथ लगातार अवैध यौन संबंध बना रहा था, खासकर टीम इंडिया के साथ दौरों के दौरान, बीसीसीआई द्वारा प्रदान किए गए होटल के कमरों में, और यहां तक कि वह आज भी वही करता है।

ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा: ‘इस मामले में आपराधिक ट्रायल पिछले 4 वर्षों से बिना किसी उचित परिस्थितियों के रुका हुआ है, ऐसे मामले में जहां प्रतिवादी संख्या 3 ने आपराधिक मुकदमे पर रोक लगाने के लिए प्रार्थना भी नहीं की थी और उसकी उनके खिलाफ एकमात्र शिकायत केवल गिरफ्तारी वारंट जारी करने के खिलाफ थी। सेशन कोर्ट ने गलत और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया, जिसके कारण याचिकाकर्ता के अधिकार और हितों को गंभीर रूप से खतरे में डाला गया।

आरोपी व्यक्ति के पक्ष में इस तरह की रोक कानून की नजर में गलत है और इसने एक गंभीर पक्षपात किया है, जो याचिकाकर्ता के खिलाफ क्रूर हमले और हिंसा के अवैध कृत्य का शिकार हुआ है, जिसके पक्ष में इस हाई प्रोफाइल आरोपी ने याचिका दायर की है। अलीपुर की जिला और सत्र न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आक्षेपित आदेश द्वारा अभियुक्त के पक्ष में एकतरफा अनुचित लाभ प्रदान किया है, जो न केवल कानून की दृष्टि से गलत है, बल्कि न्याय के सिद्धांत के भी विरुद्ध है।’

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