विश्व कप में किसे रखा जाए? अनुभवी महेंद्र सिंह धोनी को या युवा ऋषभ पंत को? यह सवाल मुंह फाड़े खड़ा है। जवाब सिलेक्टर्स के पास नहीं है और वे ‘रूको और देखो’ वाले फॉर्मूले पर चल पड़े हैं। प्रशंसक राय देने में नहीं चूकते। धोनी के फैंस सीधे-सीधे एमएस का नाम लेते हैं तो पंत के फैंस पंत का।
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कुछ महीने पहले चयनकर्ताओं ने फैसला ले लिया था कि इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी को रखा जाएगा। इसी बीच ऋषभ पंत ने बल्ले से शानदार प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और यह बात जोर-शोर से उठने लगी है कि धोनी की बजाय पंत को खिलाया जाना चाहिए। बेचारे सिलेक्टर्स पेशोपेश में पड़े हैं। पहले चर्चा करते हैं धोनी और पंत की खूबियों और कमजोरियों की।
महेंद्र सिंह धोनी खूबियां : अनुभव के मामले में धोनी के सामने पंत कहीं नहीं ठहरते। विश्व क्रिकेट में अभी भी उनकी धाक है। मैदान में धोनी की मौजूदगी ही विरोधियों के हौंसले पस्त कर देती है। मैच को समझने और रणनीति बनाने में माहिर। कप्तान विराट को उपयोगी सलाह दे सकते हैं। मुस्तैद विकेटकीपर।
कमजोरियां : पिछले एक-दो साल में खेल की चमक कम हुई। इंग्लैंड में रन बनाने में पसीने छूट रहे थे। बढ़ती उम्र। अब पहले वाली बात नहीं है।
ऋषभ पंत खूबियां : युवा खिलाड़ी। फॉर्म में। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक बनाया। निर्भीक खिलाड़ी। बल्लेबाजी में आक्रामक शैली के लिए मशहूर।
कमजोरियां : विकेट कीपर के रूप में कुछ खामियां जो मैच में महंगी पड़ सकती है। विकेट कीपिंग में सुधार की जरूरत। विश्व कप जैसे बड़े प्लेटफॉर्म का दबाव आ सकता है।
दोनों ही खिलाड़ियों की कुछ खूबियां हैं और कुछ कमियां। जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है कि चयनकर्ता ‘रूको और देखो’ पॉलिसी पर चल रहे हैं। सब कुछ धोनी के प्रदर्शन पर टिका है। यदि वह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली आगामी वनडे सीरिज में अच्छा प्रदर्शन कर लेते हैं तो विश्व कप में उनका टिकट पक्का। यदि नहीं कर पाए तो चयनकर्ताओं के पास भी उनका टिकट काटने की वजह होगी।