मुशफिकुर रहीम इतने भावुक हो उठे कि खुद की तुलना सर डॉन ब्रैडमैन से कर बैठे

मुशफिकुर रहीम ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में हासिल की बड़ी उपलब्धि।

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Sir Donald Bradman and Mushfiqur Rahim. (Photo Source: Twitter)

बांग्लादेश के विकेटकीपर-बल्लेबाज मुशफिकुर रहीम श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में शतक लगाने के बाद भावुक हो उठे, और साथ ही उन्होंने मैच ड्रॉ होने के बाद विवादास्पद बयान भी दें दिए हैं।

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मुशफिकुर रहीम ने कहा बांग्लादेश में अनुभव का कोई मूल्य नहीं है। अनुभवी बल्लेबाज ने आगे कहा अगर वह रन बनाते रहते है, तो बांग्लादेश में उनकी तुलना ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन से की जाती है, लेकिन जैसे ही वह रन बनाने में विफल होते है, तो ऐसा लगता है मानो उन्होंने अपने लिए गड्डा खोद लिया हो।

बांग्लादेश में अनुभव का कोई मूल्य नहीं है: मुशफिकुर रहीम

मुशफिकुर रहीम ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में अपना आठवां टेस्ट शतक लगाया और इसके साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट में 5000 रन बनाने वाले पहले बांग्लादेशी क्रिकेटर भी बन गए हैं। हालांकि, इससे पहले वह काफी समय से रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। वह साल 2020 के बाद से एक भी शतक नहीं लगा पाए थे, जबकि उन्होंने आखिरी बार अर्धशतक इस साल मार्च-अप्रैल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगाया था।

मुशफिकुर रहीम ने Cricbuzz के हवाले से कहा: “मेरे ख्याल से बांग्लादेश में अनुभव का कोई मूल्य नहीं है। 17 सालों तक क्रिकेट खेलना कोई आम बात नहीं है। अल्लाह ने जो कुछ भी मेरी किश्मत में लिखा है, उसे कोई नहीं छीन सकता। मैं बस अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं। मैं 5,000 टेस्ट रन बनाने वाला पहला बांग्लादेशी बनकर शानदार महसूस कर रहा हूं। लेकिन मुझे यकीन है कि यह उपलब्धि हासिल करने वाला मैं आखिरी खिलाड़ी नहीं हूं। हमारे बहुत सारे सीनियर और जूनियर खिलाड़ी 8,000 या 10,000 रन बना पाने में सक्षम हैं।”

अनुभवी बल्लेबाज ने आगे कहा: “मैंने ऐसा केवल बांग्लादेश में देखा है कि अगर कोई खिलाड़ी शतक बनाता है तो उसकी तुलना महान क्रिकेटरों से की जाती है, लेकिन अगर खराब दौर से गुजर रहा हो तो उसकी कोई इज्जत नहीं होती है। जब भी मैं शतक बनाता हूं तो लोग मेरी तुलना डॉन ब्रैडमैन से करते हैं, लेकिन जब मैं रन बनाने में विफल होता हूं तो फिर ऐसा लगता है कि मैंने अपने लिए गहरा गड्डा खोद लिया है। यह एक संस्कृति बनती जा रही है, जिसे बदलने की जरुरत है। अगर हम मैदान से बाहर इन चीजों से निपटने में अपना समय देंगे, तो इससे हमारा प्रदर्शन प्रभावित होना ही है।”

 

 

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