कई लोगों ने सचिन तेंदुलकर को उस समय हारा हुआ मान लिया था और वो भी अपने आप को काफी अकेला समझते थे: रवि शास्त्री
खिलाड़ी के रूप में तो सचिन तेंदुलकर ने कमाल की बल्लेबाजी की लेकिन कप्तानी में वो ज्यादा सफल नहीं रहे।
अद्यतन - Mar 29, 2023 10:54 pm

भारत के पूर्व खिलाड़ी और क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेटिंग करियर में कई रिकॉर्ड बनाए और तोड़े हैं। उन्हें आज भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिना जाता है। जब सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब और आज में यह खेल काफी बदल गया है।
सचिन तेंदुलकर का एक अलग ही क्रेज था। लोग सिर्फ उनकी बल्लेबाजी देखने के लिए अपना सारा काम छोड़ देते थे। हालांकि तेंदुलकर ने भी अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्हें भी काफी चोट का सामना करना पड़ा। खिलाड़ी के रूप में तो सचिन ने कमाल की बल्लेबाजी की लेकिन कप्तानी में वो ज्यादा सफल नहीं रहे।
बता दें, सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेटिंग करियर में कुल 6 वर्ल्ड कप खेले। 5 में तो वो इस महत्वपूर्ण ट्रॉफी को अपने नाम नहीं कर पाए लेकिन 2011 वनडे वर्ल्ड कप में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने इस ट्रॉफी को अपने नाम किया।
बता दें, यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी वर्ल्ड कप था। उन्होंने इस वर्ल्ड कप में काफी अच्छी बल्लेबाजी की थी। हाल ही में भारत के पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री ने यह बयान दिया कि जितना सचिन तेंदुलकर ने झेला शायद ही उतना किसी खिलाड़ी ने अपने क्रिकेटिंग करियर में झेला हो।
सचिन तेंदुलकर से पूरी दुनिया को काफी उम्मीद रहती थी: रवि शास्त्री
रवि शास्त्री ने ABC ऑस्ट्रेलिया डॉक्यूमेंट्री ब्रैडमैन और तेंदुलकर- द अनटोल्ड स्टोरी में कहा कि, ‘जब भी सचिन तेंदुलकर खेलने के लिए क्रीज पर उतरते थे तो पूरा भारत उन्हें खेलते हुए देखना चाहता था। सबके दिमाग में यही सवाल रहता था कि वो अब शतक कब जड़ेंगे। अगर वो शतक नहीं जड़ते थे तो लोग उन्हें एक हारा हुआ खिलाड़ी समझते थे। मुझे पता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कई बार अकेलापन महसूस किया होगा। जब आप उन ऊंचाइयों पर पहुंच जाते हैं तो आप ही समझ सकते हैं कि आपके साथ क्या हो रहा है।’
रवि शास्त्री ने आगे कहा कि, ‘सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1992 में उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाज़ी की और शानदार शतक जड़े। उस समय मैंने 22 गज में एक महान क्रिकेटर को देखा। रन बनाना अलग बात है लेकिन 18 साल के युवा खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया तेज गेंदबाजों के खिलाफ कड़ा प्रहार करने को देखना अलग बात है। उनको जब भी कोई भी बल्लेबाजी करते हुए देखता था तो सब यही कहते थे कि यह किसी दूसरी लीग का है। यही वो जगह थी जब वो तेंदुलकर से ब्रैडमैन की ओर बढ़ रहे थे।’