स्टेपनी बन गए हैं रवीन्द्र जडेजा

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(Photo by ISHARA S. KODIKARA/AFP/Getty Images)

रवीन्द्र जडेजा के साथ यही खेल लगातार पिछले कुछ महीनों से खेला जा रहा है। हार्दिक पंड्या अनफिट होते हैं तब जडेजा को याद किया जाता है और जैसे ही पंड्या टीम में लौटते हैं जडेजा को बाहर बैठ कर मैच देखना पड़ता है। यह तो इस खिलाड़ी के साथ अन्याय है।

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इंग्लैंड दौर पर यही खेल जडेजा के साथ खेला गया और वे ज्यादातर मैच में बैंच पर ही नजर आए। आखिरी टेस्ट में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। फिर ऑस्ट्रेलिया में उनको बाहर बैठा दिया गया। जैसे ही हार्दिक की जगह एक मैच में जडेजा का मौका मिला तो उन्होंने टेस्ट मैच में प्रदर्शन किया।

कहने वाले कहते हैं कि जडेजा की तुलना में पंड्या ज्यादा अच्छे बल्लेबाज हैं तो जडेजा ने उपरोक्त दोनों टेस्ट मैचों में शानदार पारियां भी खेली। उन्होंने दिखाया कि वे बल्लेबाजी भी कर सकते हैं।

अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले मैचों में फिर जडेजा को तभी अवसर मिला जब पंड्या अनफिट हो गए। यानी कि जडेजा का टीम में होना या न होना पंड्या की फिटनेस पर निर्भर है न कि खुद के प्रदर्शन पर। यह तो उनके साथ अन्याय है।

जडेजा ने लाल और सफेद दोनों गेंदों से अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उचित इनाम नहीं मिल रहा है। माना कि पंड्या भी अच्छे खिलाड़ी हैं,लेकिन जडेजा की भी इस तरह की अनदेखी करना ठीक नहीं है।

कहने वाले कहते हैं कि पंड्या जो हैं वो विराट के फेवरेट हैं और इसी का फायदा उन्हें एक बार नहीं बार-बार मिलता है।

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