युवराज सिंह को नहीं मिली टीम इंडिया की कप्तानी, तो अब उसके लिए सचिन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं
युवराज सिंह ने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में दमदार खेल दिखाया था।
अद्यतन - मई 8, 2022 2:54 अपराह्न
2007 के टी-20 विश्व कप से पहले एमएस धोनी को टीम इंडिया का कप्तान नियुक्त किया गया था और इस फैसले ने क्रिकेट जगत के तमाम फैंस समेत एक्सपर्ट को हैरान कर दिया था। उस वक्त धोनी से भी कई सीनियर खिलाड़ी टीम में मौजूद थे। उनमें से एक युवराज सिंह थे, जो उससे पहले हुए इंग्लैंड के दौरे के लिए टीम इंडिया के उपकप्तान थे। जब टी-20 वर्ल्ड कप में टीम की कप्तानी की बात आई तो उस वक्त रेस में युवराज सिंह का नाम सबसे आगे था।
हालांकि, बीसीसीआई के चयनकर्ता धोनी के साथ गए, जो एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ क्योंकि उनकी कप्तानी में टीम इंडिया वर्ल्ड चैंपियन बनने में कामयाब हुई थी। इस बीच, युवराज सिंह ने लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन वो कभी भी टीम इंडिया की कप्तानी नहीं कर पाए।
उसी के बारे में खुलकर बोलते हुए, पूर्व ऑलराउंडर ने कहा कि ग्रेग चैपल प्रकरण में सचिन तेंदुलकर का समर्थन करना उन्हें भारी पड़ा और इसी वजह से उन्हें कप्तानी नहीं मिली। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ग्रेग चैपल 2005 से 2007 तक भारत के कोच थे। उस अवधि के दौरान उन्होंने सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर दोनों के साथ विवाद किया था
युवराज सिंह ने बताया क्यों नहीं मिली उन्हें टीम इंडिया की कप्तानी?
स्पोर्ट्स 18 को दिए एक इंटरव्यू में युवराज सिंह ने संजय मांजरेकर से कहा कि, “मुझे कप्तान बनने के कगार पर था। फिर ग्रेग चैपल की घटना घटी। चैपल या सचिन में से किसी एक को चुनना था। मैं शायद एकमात्र खिलाड़ी था, जिसने अपने साथी खिलाड़ी का समर्थन किया। बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों को यह पसंद नहीं आया।
कहा जाता था कि वे किसी को भी कप्तान बना देंगे, लेकिन मुझे नहीं। मैंने यही सुना है। मुझे नहीं पता कि यह कितना सच है। अचानक उप-कप्तानी से मुझे हटा दिया गया। सहवाग टीम में नहीं थे। ऐसे में माही 2007 टी-20 विश्व कप के लिए कप्तान बने। मुझे लगा कि मैं कप्तान बनने जा रहा हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि, “वीरू सीनियर थे, लेकिन इंग्लैंड दौरे पर नहीं थे। मैं वनडे टीम का उप-कप्तान था, जबकि राहुल द्रविड़ कप्तान थे। इसलिए मुझे कप्तान बनना था। जाहिर है, यह एक ऐसा फैसला था जो मेरे खिलाफ गया, लेकिन मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है। आज भी अगर ऐसा ही होता है तो भी मैं अपनी टीम के साथी का साथ दूंगा। इसके बाद मैंने देखा कि माही ने अच्छी कप्तानी की और वो वनडे क्रिकेट में कप्तानी करने के लिए बेस्ट थे।”