कोहली ने 3 साल की उम्र में थामा था बल्ला, तब से जारी है यह सिलसिला

Advertisement

Virat Kohli. (Photo Source: Twitter)

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट और वनडे सीरीज़ में पटखनी देकर इतिहास रच दिया है। इस समय कोहली बेशक़ विश्व के बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं और अब वे भारते के बेहद काम्याब कप्तान भी हैं।

Advertisement
Advertisement

कोहाली के बारे में पहले भी काफी कुछ लिखा गया है। आइए जानते हैं कि कोहली का यह सफर आखिर शुरू कैसे हुआ।

बचपन से ही दिखा दी थी प्रतिभा : पालने में ही दिख जाते हैं पूत के पांव, यह कहावत भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली पर बिलकुल फिट बैठती है। आज दुनिया में धमाल मचाने वाले विराट कोहली के बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है कि वह किस उम्र से क्रिकेट मैच खेलने लगे थे। विराट कोहली 5 नवम्बर 1988 में दिल्ली की पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे थे। उनके पिता प्रेम कोहली क्रिमिनल लॉयर थे और उनकी मां सरोज कोहली हाउसवाइफ हैं। उनके परिवार में एक बड़े भाई विकास और बड़ी भावना बहन भी हैं।

मात्र 3 वर्ष की उम्र से खेलने लगे क्रिकेट : परिवार के लोगों ने बताया कि जब विराट कोहली मात्र 3 वर्ष के थे तभी उन्होंने अपने हाथ में बल्ला थाम लिया था और अपने पिता से बॉल करने के लिए कहते थे। धीरे-धीरे दिल्ली के उत्तमनगर में बड़े हुए और जब वह अपने स्कूल विशाल भारतीय पब्लिक स्कूल में 1998 में पढ़ रहे थे तब वहां वेस्ट देहली क्रिकेट एकेडमी बनी थी और कोहली को 9 वर्ष की उम्र में इस एकेडमी में दाखिल कराया गया था। क्योंकि उस समय विराट गली-मुहल्ले में क्रिकेट खेला करते थे।

अच्छे क्रिकेटर बनने के लक्षण सभी को आए नजर : विराट के माता-पिता के पड़ोसियों ने प्रतिभा को देखते हुए यह सलाह दी कि विराट को गली-मुहल्ले में खेल कर समय बर्बाद करने से अच्छा होगा कि उसे किसी एकेडमी में दाखिला दिला दिया जाए क्योंकि उसमें एक अच्छे क्रिकेटर बनने के लक्षण दिख रहे हैं। इसके बाद एकेडमी में कोहली को कोच राजकुमार शर्मा ने प्रशिक्षण दिया। कोच राजकुमार कोहली के शुरुआती दिनों की प्रतिभा को देख कर काफी प्रभावित हुए। उनका कहना है कि उस समय वह किसी भी स्पॉट पर बैटिँग करने को तैयार रहते थे।

कोहली के पिता लंबी बीमारी से चल बसे : जब कोहली नौवीं कक्षा में पढ़ने के लिए पश्चिम दिल्ली के जेवियर कान्वेन्ट में गये तो वहा उनकी क्रिकेट की प्रैक्टिस ने उनकी काफी मदद की। स्कूल में उन्हें ब्राइट चाइल्ड का दर्जा मिला। कोहली का परिवार 2015 तक मीरा बाग में रहा उसके बाद सभी लोग गुड़गांव चले गये। कोहली के पिता प्रेम कोहली एक महीने की लम्बी बीमारी के बाद 18 दिसम्बर 2006 में नहीं रहे।

पिता की मौत के बाद पूरे परिवार ने देखा बेहद कठिन दौर : अपने शुरुआती जीवन के बारे में कोहली ने एक इंटरव्यू में कहा कि मैंने जीवन में बहुत कुछ देखा और बहुत ही कम उम्र में अपने पिता को खो दिया। परिवार को कोई मुख्य व्यवसाय भी नहीं था, किराये के मकान में रहते थे। वह समय हमारे परिवार के लिए बहुत ही कठिन समय था। कोहली के अनुसार उनके पिता ने बचपन में मुझे क्रिकेट सिखाने में बहुत मदद की। क्रिकेटर बनने में मेरे पिता का बहुत बड़ा योगदान है या यह कहूं आज जो कुछ भी हूं अपने पिता की वजह से हूं। वे रोजाना प्रैक्टिस के लिए स्वयं मुझे ले जाया करते थे। आज मैं उन्हें बहुत मिस कर रहा हूं। आज मुझे अब भी याद आते हैं।

Advertisement