टीम की तैयारियों को लेकर सरेआम उड़ी खिल्ली और देखते रहे विराट

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Virat Kohli of India. (Photo by Charlie Crowhurst/Getty Images)

टीम इंडिया फिलहाल अपने घर में श्रीलंका से खेल जरूर रही है लेकिन उसका सारा फोकस मिशन साउथ अफ्रीका पर है। टीम इंडिया का साउथ अफ्रीका दौरा अगले साल के पहले हफ्ते से शुरू हो रहा है और इधर श्रीलंका का भारत दौरा 24 दिसंबर को खत्म हो रहा है। यानी भारत से श्रीलंका के जाने और टीम इंडिया के प्रोटियाज सरजमीं की उड़ान भरने के बीच वक्त ज्यादा नहीं है। ऐसे में साउथ अफ्रीका के मुताबिक अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने के लिए टीम इंडिया ने मैनेजमेंट से श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका जैसी ही तेज, बाउंसी और घास वाली पिचों की मांग की थी ।

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कोलकाता टेस्ट में भारतीय खिलाड़ियों की इस मांग को सबसे बेहतर ढंग से अमल में लाया गया। नागपुर की पिच को भी कप्तान कोहली ने अच्छा बताया, लेकिन पहले दो दिन के बाद पिच टूट गई और उस पर तेज गेंदबाजों से ज्यादा स्पिन को मदद मिलने लगी। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में भी सीरीज के आखिरी टेस्ट के लिए भारतीय खिलाड़ियों की डिमांड को ध्यान में रखा गया है। लेकिन मैच शुरू होने से पहले श्रीलंकाई कप्तान दिनेश चंडीमल ने कोटला की पिच की पोल खोल दी और ऐसा करते हुए टीम इंडिया के मिशन साउथ अफ्रीका की तैयारियों की भी धज्जी उड़ा दी।

श्रीलंकाई कप्तान चंडीमल ने कहा, “मुझे हैरानी होती है ये सुनकर जब टीम इंडिया कहती है कि वो साउथ अफ्रीका की तैयारी कर रही है। कोलकाता की पिच साउथ अफ्रीका जैसी थी भी। लेकिन नागपुर और दिल्ली की पिच एक समान है और ये साउथ अफ्रीकी तेज पिचों से मेल नहीं खाते। ऐसी पिचों पर खेलकर टीम इंडिया की साउथ अफ्रीका के लिए तैयारियों की बात करना समझ से परे है।” श्रीलंकाई कप्तान ने अपने बयान से टीम इंडिया की दक्षिण अफ्रीका के तैयारियों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं ।

हालांकि , पिच को लेकर लंकाई कप्तान के ऐसे सवाल उठाने के पीछे सीरीज में 1-0 से पिछड़ने की उनकी बौखलाहट भी हो सकती है। दरअसल, श्रीलंका को आज भी भारत में एक टेस्ट जीतने का इंतजार है और अब ये इंतजार कम से कम कोटला पर तो खत्म होता नहीं दिख रहा । क्योंकि यहां खेले एकमात्र टेस्ट में उसे भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। साफ है ऐसी सूरत में पिच को लेकर टीम इंडिया की तैयारियों की पोल खोलना श्रीलंकाई कप्तान के लिए खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह जान पड़ता है।

लेखक- कुमार साकेत

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