टीम इंडिया के लिए खेलने के मामले में ऋषि धवन की किस्मत भी उनका ज्यादा साथ नहीं दे सकी। घरेलू सीरीज में लगातार अच्छा प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारत के लिए अधिक मौका नहीं मिला। उनकी कप्तानी में इस साल हिमाचल प्रदेश की टीम पहली बार विजय हजारे ट्रॉफी जीतने में सफल हुई थी। उन्होंने आगे बढ़कर का टीम का नेतृत्व किया था।
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उन्होंने आठ मैच में 17 विकेट लिए थे। इस टूर्नामेंट के दौरान सिर्फ गेंद ही नहीं बल्कि उन्होंने बल्ले से भी कमाल किया था। धवन ने 76.33 की औसत से 458 रन बनाए थे। उन्होंने एक ऑलराउंडर की तरह खेलते हुए पांच अर्धशतक जड़े थे। सैयद मुश्ताक अली में धवन ने छह मैच में 14 विकेट लिए थे।
अनुभव के मामले में भी ऋषि धवन टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों से काफी आगे हैं। वो भारतीय टीम के लिए खेल चुके हैं। धवन ने 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। उन्होंने तीन वनडे और एक टी-20 में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। वे तीन वनडे में सिर्फ 12 रन ही बना सके थे। एक टी-20 में उन्होंने एक विकेट भी लिया था। वहां पर अधिक सफल नहीं होने के बाद उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया और अब तक उन्हें वापस टीम में जगह नहीं मिली है।