तुलना करना सभी को बहुत पसंद है। सचिन तेंडुलकर आए तो सुनील गावस्कर से तुलना होने लगी। हार्दिक पंड्या को कहने वाले दूसरा कपिल देव बताने लग गए। ले-देकर शुभमन गिल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी कदम मात्र रखा है और कहने वाले कहने लगे कि दूसरा विराट कोहली टीम इंडिया को मिल गया।
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ठीक है, न्यूजीलैंड के कॉमेंटेटर्स को शुभमन में विराट की झलक नजर आई। शुभमन ने एक चौका मारा और कॉमेंटेटर ने कह दिया कि यह तो विराट जैसा खेलता है। बस तुलना शुरू।
विराट और शुभमन में अभी सदियों के फासले हैं। विराट अभी जहां खड़े हैं वहां तक शुभमन को पहुंचने में लंबा समय लगेगा। जरूरी भी नहीं है कि वे वहां तक पहुंच जाए। ये भी हो सकता है कि वे आगे निकल जाए। लेकिन यह बात भविष्य की है। अभी से इस बारे में क्या कहना और क्या सुनना।
विराट से तुलना कर क्या हम शुभमन पर दबाव नहीं बना रहे हैं। मात्र 19 साल के हैं शुभमन। कच्ची उमर में पैर फिसल जाते हैं। इस तरह की बातों से दिमाग घूम सकता है। बड़ा मुश्किल होता है इनसे बचना।
इस तरह की तुलना से शुभमन का खेल प्रभावित हो सकता है। अनजाने में वे विराट को कॉपी करने लग जाए तो अनर्थ नहीं हो जाएगा? उनका मौलिक खेल गुम नहीं हो जाएगा?
बेहतर है कि अभी शुभमन को अपने हाल पर छोड़ने दे। इससे उन पर दबाव नहीं होगा और वे अपना खेल निखार सकेंगे। कुछ वक्त के बाद तुलना जरूर हो सकती है, लेकिन ये समय ठीक नहीं है।