सईद अजमल को माइकल हसी से मिला था उनके करियर का सबसे भयानक सदमा!
माइक हसी ने पाकिस्तान के खिलाफ साल 2010 में टी-20 वर्ल्ड कप की सबसे यादगार पारियों में से एक खेली थी।
अद्यतन - दिसम्बर 21, 2022 7:21 अपराह्न
सईद अजमल की गिनती पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में की जाती है, लेकिन वह आज भी टी-20 वर्ल्ड कप 2010 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी टीम की हार से आहत हैं। यह बात 14 मई 2010 की है, जब माइकल हसी ने सेंट लूसिया में टी-20 वर्ल्ड कप के दूसरे सेमीफाइनल में केवल 24 गेंदों में नाबाद 60 रनों की यादगार पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को पाकिस्तान के खिलाफ तीन विकेट की जीत दिलाई थी।
यह माइकल हसी के करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक थी, और यह जीत ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के इतिहास की सबसे प्रसिद्ध और यादगार जीत में से एक थी, वहीं दूसरी ओर, यह पाकिस्तान क्रिकेट टीम और सईद अजमल के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी, जिससे स्पिनर को उबरने में बहुत समय लग गया।
सईद अजमल ने 2010 टी-20 वर्ल्ड कप की अपनी डरावनी याद को ताजा किया
सईद अजमल को 2010 टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम ओवर में 18 रनों का बचाव करने का काम सौंपा गया था, जहां माइकल हसी ने पाकिस्तानी स्पिनर के खिलाफ तीन छक्के और एक चौका लगाकर एक गेंद शेष रहते ही अपनी टीम को फाइनल में पहुंचा दिया।
#OnThisDay in 2010, Mike Hussey played one of the most remarkable #T20WorldCup innings of all time, smashing 60* off 24 balls to take Australia to the final! pic.twitter.com/OGXIphjW2R
— T20 World Cup (@T20WorldCup) May 14, 2019
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया को टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ मात झेलनी पड़ी थी। इस बीच, पाकिस्तान की इस दिल दहला देने वाली हार को 12 से अधिक वर्षों का समय हो गया है, लेकिन दिग्गज स्पिनर के घाव आज भी ताजा है, उन्होंने 18 रनों का बचाव कर पाने में अपनी विफलता से आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष किया।
सईद अजमल ने पाकिस्तान चैनल GEO के ‘हंसना मना है’ शो पर कहा: “ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारी हार के बाद जब मैं घर लौटा, तो प्लेन से लेकर हवाई अड्डे तक, और घर पहुंचते तक रास्ते में, मुझे केवल ‘माइक हसी, माइक हसी’ ही सुनाई दे रहा था। मैंने आठ दिनों तक घर से बाहर कदम तक नहीं रखा। जिसके बाद मेरे पिता ने मुझसे कहा, ‘तुम्हें खेलने की जरूरत है। घर में रहे, तो टीम से बाहर कर दिए जाओगे। एक साल के अंदर मुझे इस नाकामी का जवाब चाहिए’।
जिसके बाद मैंने कड़ी मेहनत की, मैंने दूसरा में बदलाव किया, गति विकसित की। उसके बाद मैं वनडे, T20I और टेस्ट क्रिकेट में नंबर 1 गेंदबाज बन गया। मैंने 2011, 2012 और 2013 इन तीनों सालों में 326 विकेट लिए।”