दो बार विश्वविजेता क्रिकेट टीम के कप्तान और पद्मश्री शेखर नायक बेरोजगार
अद्यतन - जनवरी 9, 2018 1:20 अपराह्न
देश के लिए लगातार 13 साल क्रिकेट खेलने वाले नेत्रहीन टीम के कप्तान शेखर नायक रोजगार की तलाश में भटक रहे है. इनकी कप्तानी में दो बार भारतीय टीम विश्व विजेता रह चुकी है. शेखर नायक को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है. लेकिन 13 साल टीम में खेलने के बाद शेखर चोटिल हो गए जिसके बाद वो टीम से बाहर चल रहे हैं. और अब उनके पास आय का कोई साधन भी नहीं है. जिसकी वजह से वह रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं.
शेखर ने एक पत्रकार से बातचीत के दौरान कहा टीम खेलते हुए उन्हें बहुत प्रशंसा भी मिली. लेकिन जब घर वापसी हुई तो घर चलाना मुश्किल सा हो गया है. शेखर की दो बेटी है. और उनकी पढ़ाई का खर्च उठाना शेखर के लिए एक बड़ी समस्या हो गई है. शेखर अपनी समस्या को लेकर देश के केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से मिल चुके हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस मदद नहीं मिली है.
अपनी समस्या को लेकर शेखर केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के पास गए थे. और अनंत कुमार ने एक प्रस्ताव ही मांगा था. इसे शेखर में दिसंबर महीने में सौंप दिया था. उनका मानना है कि मंत्री अनंत कुमार से उन्हें अच्छा रिस्पांस मिला है. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से भी अपनी समस्या से अवगत कराया है लेकिन चुनावी माहौल के कारण उन्हें कोई आश्वासन अब तक नहीं मिला. वही अवार्ड में मिली राशि को उन्होंने अपनी बेटी के नाम फिक्स कर दिया था. लेकिन अब उसे तोड़कर घर का खर्चा चला रहे है.
बेंगलुरु के शिवमोगा जिले मे शेखर का जन्म हुआ था. और वह बचपन से ही नेत्रहीन थे साल 2002 में भारतीय टीम में शेखर का चयन हुआ और 2015 तक वो राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने रहे. और विदेशी जमीन पर साल 2014 में शेखर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में एक दिवसीय विश्व विजेता टीम की कप्तानी भी की है.