'केन विलियमसन की सबसे अच्छी बात यह है कि वो बहुत ही कम डॉट गेंदें खेलते हैं': निखिल चोपड़ा - क्रिकट्रैकर हिंदी

‘केन विलियमसन की सबसे अच्छी बात यह है कि वो बहुत ही कम डॉट गेंदें खेलते हैं’: निखिल चोपड़ा

अगर आप केन विलियमसन का खेल देखें तो उनकी यही सोच रहती है कि कम से कम डॉट गेंदे खेले और दूसरे बल्लेबाजों को स्ट्राइक दें: निखिल चोपड़ा

Kane Williamson and Nikhil Chopra (Pic Source-Twitter)
Kane Williamson and Nikhil Chopra (Pic Source-Twitter)

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर निखिल चोपड़ा ने केन विलियमसन की जमकर प्रशंसा की है और कहा है कि न्यूजीलैंड कप्तान बल्लेबाजी के दौरान ज्यादा डॉट गेंदे नहीं खेलते हैं। बता दें, न्यूजीलैंड इस समय ICC टी-20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) में खेल रही है।

भले ही केन विलियमसन को पावर हिटर के रूप में नहीं जाना जाता है लेकिन वो एक और दो रन लेकर आराम से स्ट्राइक रोटेट करते रहते हैं। वो लगातार एक और दो रन भागकर विरोधी टीम के ऊपर दबाव डालते हैं और इसी वजह से न्यूजीलैंड इस शानदार टूर्नामेंट का सेमीफाइनल खेल रही है। पाकिस्तान के खिलाफ पहले सेमीफाइनल में भी उन्होंने पहली पारी में 42 गेंदों में 46 रन बनाए। उन्होंने अपनी पारी में 1 चौके और 1 छक्का जड़ा।

30 से 40 रन के बाद ही वो अपना गियर बदलते हैं: निखिल चोपड़ा

निखिल चोपड़ा ने क्रिकट्रैकर के शो ‘रन की रननीति’ में कहा कि, ‘जिस तरह से केन विलियमसन ने पाकिस्तान के खिलाफ खेला है उसको देखकर यह कहा जा सकता है कि वो कमाल के खिलाड़ी हैं। जिस तरीके से वह बल्लेबाजी करते हैं, अगर आप पिछले मुकाबले में भी देखें और इस मुकाबले में भी, उनका स्ट्राइक रेट इससे ज्यादा होना चाहिए था। उनकी यही सोच है कि स्कोरबोर्ड को आराम से आगे बढ़ाते रहें।

अगर आप उनका खेल देखें तो उनकी यही सोच रहती है कि कम से कम डॉट गेंदे खेले और दूसरे बल्लेबाजों को स्ट्राइक दें। 30 से 40 रन के बाद ही वो अपना गियर बदलते हैं। उसके बाद वो चिप शॉट खेलते हैं, स्पिन के खिलाफ बहुत अच्छी बल्लेबाजी करते हैं और पैरों को भी काफी अच्छी तरह से चलाते हैं।’

निखिल चोपड़ा ने आगे कहा कि, ‘जिस तरह से उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ 67 रन बनाए थे उसके बाद से ही उनके खेलने की गति में बदलाव देखने को मिला है। उनके खेलने की गति थोड़ी कम हो गई है लेकिन बड़े खिलाड़ियों के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि उन्हें एक ही पारी लगती है अपने आत्मविश्वास को वापस लाने के लिए।

चोट से ठीक होने के बाद वो वापस आए और जब आप उसके बाद अपने शॉट्स खेलते हैं तो आपको बिल्कुल भी परेशानी नहीं होती है और आप मैदान पर उतरकर अपने खेल को बेहतरीन तरीके से खेलते हैं। अगर विरोधी टीम 160 रन बनाती है तो केन विलियमसन अपनी टीम के लिए की फैक्टर साबित हो सकते हैं।’

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