‘जय श्री राम’ केशव महाराज ने अनोखे अंदाज में मनाया भारत पर दक्षिण अफ्रीका के जीत का जश्न - क्रिकट्रैकर हिंदी

‘जय श्री राम’ केशव महाराज ने अनोखे अंदाज में मनाया भारत पर दक्षिण अफ्रीका के जीत का जश्न

दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर केशव महाराज ने भारत पर यादगार जीत के बाद एक नए अंदाज में अपनी खुशी जाहिर की है।

Keshav Maharaj. (Photo Source: Getty Images)
Keshav Maharaj. (Photo Source: Getty Images)

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए दक्षिण अफ्रीका का दौरा दर्दनाक साबित हुआ, वहीं दूसरी ओर, मेजबान टीम के लिए साल 2022 का आगाज काफी शानदार रहा है। भारत पर टेस्ट और वनडे सीरीज में शानदार जीत दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के लिए एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।

डीन एल्गर की अगुवाई में दक्षिण अफ्रीका टीम ने पहले भारत को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से मात दी और फिर तेंबा बवूमा की टीम ने तीन मैचों की वनडे (ODI) सीरीज में टीम इंडिया को 3-0 से रौंद कर खाली हाथ वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया।

भारत पर यादगार जीत के बाद दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर केशव महाराज ने एक नए अंदाज में इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपनी खुशी जाहिर की है। उनकी यह पोस्ट अभी सुर्खियों में है और भारतीय प्रशंसक केशव महाराज के इस अंदाज को काफी पसंद कर रहे हैं।

केशव महाराज ने इंस्टाग्राम पर कहा ‘जय श्री राम’

दरअसल, केशव महाराज ने दक्षिण अफ्रीका टीम की तस्वीरें साझा करने के साथ ही पोस्ट के अंत में जय श्रीराम लिखा, जिसने भारतीय प्रशंसकों का दिल जीत लिया है।

केशव महाराज की इस इंस्टाग्राम पोस्ट ने भारत के कई क्रिकेट प्रशंसकों का ध्यान आकर्षित किया और वे अपनी जड़ों को न भूलने के लिए स्पिन विशेषज्ञ की काफी सराहना भी कर रहे हैं।

 

यहां पर देखिए केशव महाराज के उस पोस्ट को:

 

उन्होंने कैप्शन में लिखा, “हमारे लिए यह एक बेहतरीन सीरीज रही। मैं इससे ज्यादा इस टीम पर गर्व नहीं कर सकता। हम कितनी दूर आ गए हैं। अब फिर से तैयार होने और अगली चुनौती को स्वीकार करने का समय है। जय श्री राम।” बता दें, उन्होंने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल बायो पर “जय श्री राम, जय श्री हनुमान” मंत्र भी लिखा है।

Keshav Maharaj. (Photo Source: Instagram)
Keshav Maharaj. (Photo Source: Instagram)

केशव महाराज के पूर्वज भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता आत्मानंद महाराज ने बताया था कि उनके पूर्वज 1874 के आसपास सुल्तानपुर से दक्षिण अफ्रीका के डरबन काम की तलाश में आए थे और फिर वहीं बस गए।

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