13 साल की उम्र में सुसाईड करना चाहते थे कुलदीप यादव
अद्यतन - नवम्बर 13, 2017 3:54 अपराह्न
एक ऐसा भारतीय गेंदबाज जिसने अपनी फिरकी गेंदबाजी से दुनिया भर के बल्लेबाजों को हैरत में रखा. जिन्हे फिरकी का जादूगर भी कहा जाता है वो है कानपुर के कुलदीप यादव. कुलदीप के जीवन में एक ऐसा समय आया जब वो अपने आपको को ख़त्म करना चाहते थे और खुदखुसी का भी प्लान किया.
एक निजी कार्यक्रम में कुलदीप यादव ने अपने बचपन के कुछ संघर्ष के पल को शेयर करते हुए बताया की जब वह 13 साल के थे तब उन्होंने अंडर 15 क्रिकेट टूर्नामेंट में चयन के लिए गए थे जहां उनका चयन नहीं हुआ जिसकी वजह से वो टूट चुके थे.और सुसाईड करने की सोची लेकिन उस मुश्किल की घड़ी में उन्हें उनके पिता राम सिंह यादव का साथ मिला. पिता के द्वारा दी गई हिम्मत से उनका मनोबल फिर से बढ़ा और उन्होंने दुगनी तेजी से मेहनत और लगन के कुछ समय बाद अपना लोहा मनवाया.
कुलदीप की माने तो स्कूल के दिनों में बस मस्ती के लिए क्रिकेट खेलते. लेकिन उनके पिता ने उन्हीं दिनों में क्रिकेट के कोच के पास भेजना शुरु कर दिया था. उनके पिता का उनपर भरोसा इतना था की कुलदीप ने उनका भरोसा टूटने नहीं दिया. और अपनी जी तोड़ मेहनत और लगन के बदौलत आज वो इंडियन क्रिकेट में अपनी जगह बना पाए.
शुरुआत के दिनों में कुलदीप एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे. लेकिन उनके कोच ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी करने की सलाह दी उसके बाद उनके गेंदबाजी में काफी बदलाव आया. साथ ही वो बताते है की आस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज शेन वॉर्न से वो काफी प्रभावित थे और उनकी बोलिंग एक्शन की नक़ल भी किया करते थे.लेकिन बाद में भारत के पूर्व कोच अनिल कुंबले ने उन्हें काफी कुछ बताया उनसे काफी कुछ सीखने को मिला जिस कारण आज कुलदीप यादव भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा है और वो अपने देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करे इसी सोच के साथ क्रिकेट खेलते है.
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