रणजी ट्रॉफी में हार के बाद मुंबई के कोच अमोल मजूमदार ने कर दी बड़ी मांग - क्रिकट्रैकर हिंदी

रणजी ट्रॉफी में हार के बाद मुंबई के कोच अमोल मजूमदार ने कर दी बड़ी मांग

मुंबई हाल ही में मध्य प्रदेश से रणजी ट्रॉफी की खिताबी जंग हार गई।

Amol Muzumdar. (Photo Source: Twitter)
Amol Muzumdar. (Photo Source: Twitter)

मुंबई के कोच अमोल मजूमदार ने रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मैचों के लिए डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) शुरू करने की मांग की है। पूर्व बल्लेबाज का मानना है कि डीआरएस (DRS) का उपयोग घरेलू क्रिकेट को उच्च स्तर पर ले जाएगा।

आपको बता दें, डीआरएस (DRS) का इस्तेमाल रणजी ट्रॉफी में आखिरी बार 2019-20 सीजन में सेमीफाइनल और फाइनल के दौरान किया गया था। मुंबई टीम ने रणजी ट्रॉफी 2022 के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन वे 26 जून को बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मध्य प्रदेश से खिताबी जंग हार गए।

अमोल मजूमदार ने कहा कि डीआरएस (DRS) के उपयोग से मैदान पर होने वाली बड़ी-बड़ी गलतियां दूर हो जाएगी और मैचों के परिणाम प्रभावित नहीं होंगे, और साथ ही खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसका उपयोग करने के लिए अच्छे से तैयार भी हो जाएंगे।

रणजी ट्रॉफी में डीआरएस (DRS) के उपयोग होना चाहिए: अमोल मजूमदार

अमोल मजूमदार ने टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कहा: “मुझे लगता है कि रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मैचों में डीआरएस को फिर से शुरू किया जाना चाहिए, और इसे एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर आप घरेलू क्रिकेट को ऊंचे स्तर पर ले जाना चाहते हैं, तो फिर आपको डीआरएस का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। घरेलू क्रिकेट में डीआरएस का उपयोग करने के दो स्पष्ट लाभ हैं – पहला यह है कि मैचों में बड़ी-बड़ी गलतियां नहीं होगी, वहीं दूसरा कि हमारे खिलाड़ियों को पता चल जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डीआरएस का फायदा कब और कैसे उठाया जा सकता है।”

रणजी ट्रॉफी फाइनल के बारे में बात करते हुए, मुंबई के 47 वर्षीय कोच ने कहा: “मुझे लगता है कि मुंबई की पहली पारी का कुल स्कोर 374 काफी अच्छा था। सरफराज खान ने एक अविश्वसनीय पारी खेली थी।लेकिन हमारे लिए तीसरा दिन अच्छा नहीं रहा, क्योंकि हम विकेट नहीं ले पाए। हमारी गेंदबाजी बिल्कुल अच्छी नहीं थी, क्योंकि मध्यप्रदेश ने अपना स्कोर 123/1 से 368/3 तक पहुंचा दिया था, और अंततः उन्होंने 6 विकेट से फाइनल जीत लिया।” यह मध्यप्रदेश की रणजी ट्रॉफी में पहली खिताबी जीत थी।

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