क्या सच में वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे मर रहा? यह तीन बाते आपको गलत साबित करने के लिए काफी हैं
भले ही लोग कितना कहे कि वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है लेकिन सभी लोग वनडे वर्ल्ड कप का हमेशा ही इंतजार कर रहे होते हैं।
अद्यतन - जुलाई 30, 2022 1:52 अपराह्न
अभी कुछ दिन पहले ही इंग्लैंड के बेहतरीन ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को हैरान कर दिया था। उन्होंने बताया कि, लगातार क्रिकेट खेलने की वजह से उनको काफी दबाव महसूस हो रहा था साथ ही उनका शरीर भी इतना भार नहीं उठा पा रहा था। इसी के चलते उन्होंने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया। सिर्फ बेन स्टोक्स ही नहीं बल्कि तमाम क्रिकेटरों और विशेषज्ञों का मानना है कि वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे मर रहा है और भविष्य में यह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इस बात को वसीम अकरम, रवि शास्त्री, क्विंटन डी कॉक, शाहिद अफरीदी और उस्मान ख्वाजा ने भी कहा है।
साल 2020 के बाद लगातार दो साल टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन। तमाम टी-20 टूर्नामेंट हर जगह आयोजित किए जा रहे हैं। वनडे क्रिकेट से ज्यादा मुकाबले टी-20 क्रिकेट के हो रहे हैं और खिलाड़ी भी टी-20 को ज्यादा महत्व दे रहे हैं क्योंकि इस प्रारूप में पैसे काफी ज्यादा हैं।
हालांकि अभी भी ऐसे तमाम देश हैं जो वनडे क्रिकेट को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे तीन कौन से मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से आज भी वनडे क्रिकेट जिंदा हैं।
पहला कारण: बल्ले और गेंद के बीच में संतुलन
ऐसा कहा जाता है कि टी-20 क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल है। लेकिन एक गेंदबाज को भी इस प्रारूप में अच्छा प्रदर्शन करके दिखाना होता है। इस प्रारूप में एक गेंदबाज अधिक से अधिक 4 ओवर करा सकता है जिसमें से उसको 1-2 ओवर पावरप्ले में फेंकने होते हैं। पावरप्ले में दो ही फील्डर 30 गज घेरे के बाहर होते हैं। अगर उनके इन ओवरों में बल्लेबाजों ने कड़ा प्रहार किया तो मुकाबले में गेंदबाजों को वापसी करना काफी मुश्किल होता है।
वहीं दूसरी ओर वनडे क्रिकेट में अगर आपका पहला स्पेल खराब भी चला जाए तो गेंदबाज दूसरे और तीसरे स्पेल में विकेट्स झटक कर मुकाबले में वापसी कर सकता है और साथ ही टीम को भी वापसी करवा सकता है। वनडे में एक गेंदबाज 10 ओवर फेंक सकता हैं। वनडे क्रिकेट में गेंदबाजों और बल्लेबाजों दोनों को ही अपना बेहतरीन प्रदर्शन दुनिया के सामने रखना होता है।