उस्मान ख्वाजा के 'ऑल लाइव्स आर इक्वल' जूतों की होगी नीलामी, प्राप्त राशि की जाएगी दान - क्रिकट्रैकर हिंदी

उस्मान ख्वाजा के ‘ऑल लाइव्स आर इक्वल’ जूतों की होगी नीलामी, प्राप्त राशि की जाएगी दान

पिछले हफ्ते, ख्वाजा ने अपने बैन जूतों वाली टी-शर्ट की एक श्रृंखला जारी की।

Usman Khawaja. (Image Source: Instagram)
Usman Khawaja. (Image Source: Instagram)

ऑस्ट्रेलिया सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (Usman Khawaja) ने एक बड़ा ही नेक फैसला लिया है। उन्होंने अपने “ऑल लाइव्स आर इक्वल” जूतों की नीलामी करने का फैसला किया है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने सोशल मीडिया हैंडल से दी है। जूते की नीलामी से प्राप्त राशि को गाजा के बच्चों के लिए दान कर दिया जाएगा।

ख्वाजा (Usman Khawaja) ने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, “सुनिये सब लोग। मैं घोषणा करना चाहता हूं कि मैं अपने जूते को नीलाम कर रहा हूं… सारी आय ‘यूनिसेफ चिल्ड्रन ऑफ गाजा’ की अपील में जाएगी। बच्चों को अब पहले से कहीं अधिक आपके मदद की जरूरत है और हमेशा की तरह आपके समर्थन और उदारता के लिए धन्यवाद। आप सभी लोग अद्भुत रहे हैं।”

बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई ओपनर पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान काफी ज्यादा विवादों में रहे। उस्मान (Usman Khawaja) पहले टेस्ट में बिना आईसीसी की इजाजत लिए फिलिस्तीन के सपोर्ट में काली पट्टी पहन कर उतरे थे। वहीं दूसरे टेस्ट में भी ख्वाजा अपने जूतों पर “ऑल लाइव्स आर इक्वल” लिख पहनकर उतरे थे।

 

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ख्वाजा ने पिछले हफ्ते टी-शर्ट की एक सीरीज जारी की

पिछले हफ्ते, ख्वाजा (Usman Khawaja) ने अपने बैन जूतों वाली टी-शर्ट की एक सीरीज जारी की, जिसमें “ऑल लाइव्स आर इक्वल”, “स्वतंत्रता एक मानव अधिकार है” जैसे संदेश लिखे हुए थे। बता दें कि ICC ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट सीरीज के दौरान चल रहे इजराइल-फिलिस्तीन विवाद के संदर्भ का हवाला देते हुए उन्हें जूते पहनने से प्रतिबंधित कर दिया था।

पर्थ टेस्ट में पाकिस्तान में जन्मे क्रिकेटर को आधिकारिक मंजूरी के बिना बांह पर काली पट्टी बांधने के लिए आईसीसी की फटकार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, मेलबर्न में उन्हें अपने जूते पर कबूतर का प्रतीक प्रदर्शित करने से भी रोक दिया गया था।

इसके बाद ख्वाजा ने राजनीतिक प्रतीकों के संबंध में नियम प्रवर्तन में “दोहरे मानकों” का आरोप लगाते हुए आईसीसी की आलोचना की। उन्होंने स्पष्ट किया कि काली पट्टी “व्यक्तिगत शोक” का प्रतीक है और नियमों की निरंतरता पर सवाल उठाया।

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