कोहली और शास्त्री, ऑस्ट्रेलिया पर टेस्ट सीरिज की जीत का मजा फीका मत कीजिए
अद्यतन - जनवरी 8, 2019 8:47 पूर्वाह्न
भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में घुसकर टेस्ट सीरिज जीत ली। यह पहली बार हुआ है। इस काम को करने में बरसों लगे। सुनील गावस्कर, कपिल देव, सौरव गांगुली और कई दिग्गजों ने यह कोशिश की और सफलता मिली विराट कोहली को।
नि:संदेह या बेशक, यह बहुत बड़ी जीत है। वर्षों तक इस जीत का स्वाद मुंह में रहने वाला है। आखिरकार पहली बार का मजा ही कुछ और होता है। आज भी 1983 के विश्व कप में मिली जीत सभी को याद है क्योंकि भारत ने पहली बार विश्व कप जीता था।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत को ज्यादा बड़ा बताने के चक्कर में रवि शास्त्री और विराट कोहली थोड़ा बहक गए हैं। विराट ने इसे 2011 में मिली विश्व कप जीत से बड़ा बता दिया है।
रवि शास्त्री ने इस जीत की तुलना 1983 के विश्व कप विजय से कर डाली है। कहते हैं कि उसे बड़ी नहीं तो उसके बराबर की जीत है। आखिर इन दोनों को इस जीत को बड़ा बताने के लिए इतिहास में मिली जीत से तुलना क्यों करना पड़ रही है? क्यों बार-बार अपनी लकीर को बड़ा करने के लिए दूसरी लकीरों को छोटा किया जा रहा है?
जीत तो जीत होती है
रवि और विराट, आपने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन अपनी जीत को बड़ा बताने के चक्कर में आप अपना कद छोटा कर रहे हैं। जीत तो जीत होती है। उसकी तुलना कैसे की जा सकती है। विश्व कप जीतने वालों ने तो ऐसा कभी नहीं कहा। कपिल देव या धोनी ने तो कभी बड़े बोल नहीं बोले। उन्होंने अपना काम कर दिया और चुप्पी साध ली।
फिलहाल तो ऑस्ट्रेलिया पर मिली जीत का मजा लेना चाहिए और बेतुकी बातें, तर्क-कुतर्क, तुलना से दूर ही रहना चाहिए।