विराट कोहली के फोकस को कोई भी चीज प्रभावित नहीं कर सकती: ईशांत शर्मा
पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा ने बताया कि विराट कोहली हमेशा एकाग्र रहते थे और कोई भी चीज उनके ध्यान व खेल को प्रभावित नहीं कर सकती।
अद्यतन - Sep 24, 2025 5:33 pm

पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा ने हाल ही में हुए एक पॉडकास्ट में बताया कि कैसे भारतीय सुपरस्टार बल्लेबाज़ विराट कोहली शुरुआती दौर से ही एकाग्र रहते थे और कोई भी चीज़ उनके ध्यान और खेल को प्रभावित नहीं करती थी। यहाँ तक कि मैदान के बाहर की बातें भी टीम के लिए उनके प्रदर्शन को कभी प्रभावित नहीं करती थीं। उनका इस खेल के प्रति लगाव बहुत गहरा है और यही उन्हें एक ख़ास खिलाड़ी बनाता है।
प्रसिद्ध पॉडकास्टर राज शमानी के साथ बातचीत के दौरान ईशांत ने कई क्रिकेटरों के बारे में चर्चा की। उनके करियर के शुरुआती दौर में ऐसे कई खिलाड़ी थे जिनका ‘लेजेंडरी ऑरा’ यानी काफी बोल-बाला था। लेकिन विराट उनमें से सबसे ख़ास थे।
ईशांत शर्मा ने रखा अपना पक्ष
ईशांत ने कहा, “देखिए, जब मैंने पहली बार खेलना शुरू किया था, तो मुझे लगता था कि हर किसी में वह जोश है, हर कोई एक दिग्गज है। बाद में जब मैं खेला, तो मुझे यह एहसास सिर्फ एक ही व्यक्ति के साथ हुआ, और वो थे विराट कोहली।”
रणजी ट्रॉफी के समय को याद करते हुए ईशांत ने कोहली की मानसिकता की तारीफ की और बताया कि विराट ने मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखा और खेल को हमेशा पहली प्राथमिकता दी। यहाँ तक कि अपने पिता की मृत्यु के बावजूद उन्होंने रणजी का मैच खेला और टीम के लिए शानदार पारी भी खेली।
ईशांत ने आगे कहा, “उनका रवैया ऐसा था कि: ‘मैं यहाँ हूँ, मैं अपना काम पूरा करूँगा।’ बाहर की किसी भी चीज़ ने उनके खेल को प्रभावित नहीं किया। बाहर कुछ भी हो रहा हो, वह जानते हैं कि जब वह मैदान पर हैं, तो वह रन बनाएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। वह हमेशा से ऐसे ही रहे हैं। चाहे वह देर रात 2 या 3 बजे भी वापस आए हों या रात भर बल्लेबाज़ी की हो, अगले दिन वह मैदान पर जाते थे और रन बनाते थे।”
फिटनेस के प्रति कोहली का अटूट समर्पण
ईशांत शर्मा ने विराट कोहली की फिटनेस से जुड़ी दिनचर्या को लेकर काफी चर्चा की और विराट के लगन की तारीफ भी की। इतना ही नहीं, बल्कि उनका मानना है कि इस बदलाव के कारण विराट की न केवल बल्लेबाज़ी में, बल्कि उनकी फील्डिंग के स्तर में भी बढ़ोतरी हुई है।
ईशांत ने समझाते हुए कहा कि, “मुझे लगता है कि वह (विराट) समझ गए थे कि अगर उन्हें इस दर्जे पर खेलना है तो फिटनेस हासिल करनी होगी। वह जानते हैं कि फिटनेस से वह लंबे समय तक खेल सकते हैं, रिफ्लेक्सिस तेज रहते हैं और फील्डिंग में सुधार होता है। यह बदलाव विराट में 2011 में विश्व कप और आईपीएल के बाद नजर आया।”