कौन हैं शेख रशीद, जिनके लिए पिता ने छोड़ी थी बैंक की नौकरी - क्रिकट्रैकर हिंदी

कौन हैं शेख रशीद, जिनके लिए पिता ने छोड़ी थी बैंक की नौकरी

अंडर-19 वर्ल्ड कप में शेख रशीद ने किया है बेहतरीन प्रदर्शन।

Shaik Rasheed
Shaik Rasheed (Photo Source: Getty Images)

अंडर-19 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में 94 रन की पारी खेलने के बाद शेख रशीद क्रिकेट जगत में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले में उन्होंने जिस तरह से अपनी कौशल और क्षमता का प्रदर्शन दिखाया उसकी आज चारों तरफ जमकर तारीफ हो रही है। क्रिकेट फैंस से लेकर एक्सपर्ट तक हर कोई 94 रनों की पारी के बाद उनका मुरीद हो गया है।

लेकिन शेख रशीद को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें और उनके पिता को काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ा जिसके बारे में अभी भी कई लोगों को नहीं पता है। उनको अंडर-19 का स्टार बनाने में सबसे बड़े योगदान उनके पिता का रहा। रशीद जिस क्लब में ट्रेनिंग के लिए जाते थे वो उनके घर से लगभग 50 किलोमीटर दूर था लेकिन फिर भी उनके पिता उन्हें रोज ग्राउंड पर प्रैक्टिस के लिए ले जाया करते थे।

शेख रशीद के मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनके पिता उसी शहर के प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे। रशीद के पिता एक सकारात्मक विचार वाले व्यक्ति हैं और उन्हें उसी समय भरोसा था कि उनका बीटा एक न एक दिन देश के लिए जरूर खेलेगा इसलिए उन्होंने कभी भी रशीद को क्रिकेट खेलने से नहीं रोका और हर एक कदम पर उनका साथ दिया।

शेख रशीद को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने छोड़ दी बैंक की नौकरी

हालांकि एक समय ऐसा जब रशीद को अंडर 14 और अंडर 16 लेवल पर टीम में चयन नहीं किया जिसके बाद वो अंदर से इतना ज्यादा टूट चुके थे कि उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का ही फैसला कर लिया था और काफी समय के लिए क्रिकेट से दूर भी हो गए थे। अपने बेटे का ये हाल देख उनके पिता भी काफी परेशान थे और उन्होंने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी।

इसके बाद अपने बेटे को हर तरह से समझाकर उनका मनोबल बढ़ाकर वापस से उसे क्रिकेट ग्राउंड पर ले आए और रशीद को अच्छा ट्रेनिंग मिले इस बात का भी उन्होंने पूरा ध्यान रखा। रशीद के पिता ने खुद कई बार उन्हें थ्रो डाउन की प्रैक्टिस करवाते थे। जिस वजह से ऑफिस कभी समय से नहीं पहुंचते थे। यहीं कारण भी था कि उन्हें अपनी दूसरी नौकरी भी छोड़नी पड़ी थी।

लेकिन रशीद ने अपने पिता के बलिदान को उन्होंने व्यर्थ नहीं जाने दिया और इसके बाद अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर आंध्र प्रदेश की टीम में जगह बनाई। इसके बाद से वो एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रदर्शन करते गए और देखते ही देखते उन्हें अंडर-19 टीम में जगह मिल गई। और उनके बाद आज वो लाखों युवा खिलाड़ी जो भारत के लिए खेलने का सपना देखते हैं उन सभी के लिए प्रेरणा बन गए।

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