क्या इंग्लैंड के लिए खेलते तो अजिक्या रहाणे बन जाते ‘ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम’?

क्या इंग्लैंड के लिए खेलते तो अजिक्या रहाणे बन जाते ‘ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम’?

अजिंक्य रहाणे ने भारत के लिए 5000 से अधिक टेस्ट रन बनाए

Ajinkya Rahane (Image Credit- Twitter/X)
Ajinkya Rahane (Image Credit- Twitter/X)

अजिंक्य रहाणे को आधुनिक भारतीय क्रिकेट के सबसे क्लासिकल और तकनीकी रूप से सक्षम मध्यक्रम के बल्लेबाज़ों की सूची में गिना जाता है। मुंबई के प्रशंसनीय क्रिकेटिंग माहौल से आने वाले रहाणे की कॉम्पैक्ट तकनीक और आकर्षक स्ट्रेट ड्राइव ने उनके करियर को परिभाषित किया है। खासकर चुनौतीपूर्ण विदेशी परिस्थितियों में, जहाँ उन्होंने कई बार अपने बल्ले से भारतीय टीम को विकट परिस्थितियों से निकाला है।

ऑस्ट्रेलिया में भारत की ऐतिहासिक 2020-21 बॉर्डर-गावस्कर विजयी श्रृंखला के दौरान उनके प्रेरणादायक नेतृत्व ने उनकी विरासत को हमेशा के लिए स्थापित कर दिया। हालाँकि, एक रोचक सवाल अक्सर उठता है कि क्या उनके इस अनमोल कौशल तथा हुनर को देखते हुए, अगर वह इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलते, तो रहाणे की करियर कहानी काफ़ी अलग होती, और शायद यह उन्हें ‘महानतम खिलाड़ियों’ की सूची तक पहुँचा देती?

रहाणे की ताकत उनकी रक्षात्मक तकनीक है, जिसकी विशेषता देर से गेंद खेलना, सॉफ्ट हाथों का उपयोग करना और अपनी पारी के दौरान धैर्य दिखाना है। ये ठीक वही गुण हैं जो किसी भी बल्लेबाज़ को इंग्लैंड की परिस्थितियों में सफल बनाते हैं, जहाँ ओवरकास्ट कंडीशंस, स्विंग और सीम मूवमेंट अक्सर आक्रामक बल्लेबाजों को परेशान करते हैं।

हालाँकि इंग्लैंड में उनका कुल टेस्ट औसत लगभग 28.00 है, परन्तु उनके प्रदर्शन में मुश्किल एवं कठिन परिस्थितियों में खेली गई कई जुझारू पारियाँ भी शामिल हैं। जिसका परिणाम 2023 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में इंग्लिश ज़मीन पर उनकी एक मज़बूत वापसी थी। भारत के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वाले सेटअप में, रहाणे को अक्सर आलोचना और अंततः टीम से बाहर होने का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उनका विदेशी रिकॉर्ड शानदार रहा है।

अधिक प्रशंसित इंग्लिश करियर का मामला

इस काल्पनिक तर्क का आधार क्रिकेटिंग इकोसिस्टम के अंतर पर टिका है। अंग्रेजी क्रिकेट ने सालों से तकनीकी रूप से सक्षम मध्यक्रम के बल्लेबाजों का सम्मान किया है जो कठिन स्पेल्स का सामना कर सकते हैं, और रहाणे इस साँचे में पूरी तरह से फिट बैठते हैं। भारत के भरे हुए टैलेंट पूल की तुलना में, इंग्लैंड की क्लासिकल मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी इकाई यकीनन कम खिलाड़ियों से भरी है।

यदि रहाणे ने इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया होता, तो उन्हें चयनकर्ताओं और जनता से बहुत अधिक अवसर और समर्थन निसंदेह मिला होता। जो रूट जैसे दिग्गज के साथ साझेदारी करते हुए, रहाणे एक चट्टान जैसी, दीर्घकालिक मध्यक्रम की साझेदारी बना सकते थे, जो इंग्लैंड को नई ऊँचाइयों पर पहुँचने में मदद करती। रहाणे की स्पिन को खेलने और रन बटोरने की क्षमता, अंग्रेजी खिलाड़ियों के विपरीत है, जिसके कारण वे बल्लेबाज़ी क्रम में विविधता लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते।

इंग्लैंड द्वारा रहाणे को मिले आत्मविश्वास और निरंतरता के इस स्तर ने उनकी खराब फॉर्म को दूर करने में मदद की होती, जिससे उनकी विदेशी क्षमता और भी बेहतर हो जाती। साथ ही साथ वे एशियाई परिस्थितियों में भी बेहतर बल्लेबाज़ी करते, जहाँ बाकी अंग्रेजी खिलाड़ियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह सब उन्हें अपनी पीढ़ी के प्रमुख इंग्लिश टेस्ट बल्लेबाजों में से एक के रूप में प्रशंसित करवा सकता था, जिससे महानतम बनने की उनकी दावेदारी काफी मजबूत हो जाती।

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