IND vs SA 2025: ‘हमने दीवार पर लिखी चेतावनी नहीं पढ़ी’ – पहले टेस्ट में हार के बाद संजय मांजरेकर की तीखी टिप्पणी
मांजरेकर का दावा टेस्ट क्रिकेट की गिरती प्राथमिकता से बल्लेबाज़ों की डिफेंसिव तकनीक कमजोर हुई।
अद्यतन - Nov 17, 2025 11:47 am

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में खेले गए पहले टेस्ट में मिली 30 रन की हार के बाद भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने टेस्ट क्रिकेट और आधुनिक बल्लेबाजों की तकनीक पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के दौर में खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट को सबसे कम प्राथमिकता देते हैं, और यही वजह है कि मुश्किल परिस्थितियों में बल्लेबाज टिक नहीं पाते।
कोलकाता की टर्न लेती पिच पर भारत 124 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ 93 रन पर ऑलआउट हो गया। यह टेस्ट क्रिकेट में भारत का दूसरा सबसे छोटा लक्ष्य है, जिसे वे हासिल नहीं कर सके। इसके बाद मांजरेकर ने आधुनिक बल्लेबाजों की तकनीक पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज का खिलाड़ी ताकतवर छक्का मार सकता है, लेकिन अच्छी गेंद को बचाकर खेलने की कला तेजी से खत्म हो रही है।
मांजरेकर टी20 युग में डिफेंस कमजोर, इसलिए टेस्ट में बल्लेबाज संघर्ष कर रहे हैं
उन्होंने कहा, पिछले पाँच सालों से चेतावनी सामने थी, लेकिन हमने उस पर ध्यान नहीं दिया। खिलाड़ियों और क्रिकेट जगत के हितधारकों के लिए टेस्ट क्रिकेट सबसे कम पसंदीदा फॉर्मेट बन गया है। टी20 और निजी लीगों की चमक के सामने टेस्ट क्रिकेट कहीं पीछे छूट गया है।
मांजरेकर के अनुसार, टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए मजबूत डिफेंस और धैर्य की जरूरत होती है। पुरानी पीढ़ी के बल्लेबाज अपनी डिफेंसिव तकनीक पर सबसे ज्यादा मेहनत करते थे, क्योंकि उस समय टेस्ट क्रिकेट सर्वोच्च फॉर्मेट था। लेकिन अब हालात उलट गए हैं डिफेंस खिलाड़ियों की प्राथमिकता में आखिरी स्थान पर आ गया है, जिसके कारण अच्छी गेंदों का सामना करना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने आगे कहा कि आज का खिलाड़ी आसानी से गेंद को स्टैंड के दूसरे टियर तक मार सकता है, लेकिन क्वालिटी गेंद को जमीन पर खेलकर रोकना अब मुश्किल कला बन गई है। मांजरेकर का मानना है कि पिचों को भी बदलते समय के अनुसार तैयार करना चाहिए। इंग्लैंड में इस साल एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के दौरान जैसी फ्लैट पिचें थीं, वैसी पिचें बैट और बॉल के बीच बेहतर मुकाबला देती हैं।
अंत में उन्होंने कहा, अगर हमें अच्छी टेस्ट सीरीज़ देखनी है, तो हमें समय के साथ तालमेल बैठाना होगा। आज के बल्लेबाजों की क्षमता के अनुसार पिचों को थोड़ा आसान करना पड़ सकता है।