टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में घुटने नहीं टेकने के विवाद पर क्विंटन डी कॉक ने दिया बड़ा बयान - क्रिकट्रैकर हिंदी

टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में घुटने नहीं टेकने के विवाद पर क्विंटन डी कॉक ने दिया बड़ा बयान

क्विंटन डी कॉक ने कहा क्रिकेटर एक्टिविस्ट नहीं होते है!

Quinton de Kock taking knee. (Photo source: Disney+Hotstar)
Quinton de Kock taking knee. (Photo source: Disney+Hotstar)

दक्षिण अफ्रीका के अनुभवी विकेटकीपर-बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक ने पिछले साल भारी आलोचना का सामना किया था जब वह टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में मैच शुरू होने से पहले घुटने टेकने के क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (CSA) के निर्देशों के खिलाफ गए थे। हालांकि, पहले मैच के बाद उन्होंने टीम के निर्देशों का पालन बाकि सभी मैचों में किया था।

टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में वेस्टइंडीज के खिलाफ के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के पहले मैच के शुरू  होने से पहले क्विंटन डी कॉक ने घुटने टेकने से मना कर दिया था, जबकि टीम को CSA से यह निर्देश मिला था कि उन्हें नस्लवाद के खिलाफ जारी मुहिम ब्लैक लाइफ मैटर के समर्थन में हर मैच के पहले घुटने टेकना है।

घुटने नहीं टेकने के विवाद पर क्विंटन डी कॉक ने तोड़ी चुप्पी

अनुभवी विकेटकीपर CSA के इस फैसले से विपरीत गए, जिससे क्रिकेट जगत को काफी हैरानी हुई और क्रिकेटर को अत्यधिक आलोचना का शिकार भी होना पड़ा। अब क्विंटन डी कॉक ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है।  अपने रुख को स्पष्ट करते हुए, बाएं-हाथ के बल्लेबाज ने कहा उन्हें लगा जैसे उनके अधिकार छीन लिए गए हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने प्रशंसकों से माफी भी मांगी और बचे हुए मैचों में CSA के निर्देशों का पालन भी किया।

क्विंटन डी कॉक ने टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कहा: “मैं कुछ अलग नहीं करता। हम जिस पर विश्वास करते हैं, उस पर कायम रहते हैं। मैं जानता हूं कि मैं कैसा हूं। मुझे पता है कि मैं बुरा इंसान नहीं हूं। मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए मैं डरा नहीं था। मुझे लगता है कि बोर्ड के सदस्य, या जिसने भी यह निर्देश दिया था (अनिवार्य रूप से घुटने टेकने के लिए), वह अलग तरह से भी काम कर सकते थे, न कि मैच से पहले स्मैक डब। खिलाड़ियों पर दबाव डाला गया, जो अनावश्यक था। हमारी टीम में काफी युवा थे।”

सोशल मीडिया ने बंद दरवाजो के पीछे योगदान देने वालो के काम को छुपा दिया है: क्विंटन डी कॉक

29 वर्षीय ने आगे कहा कि क्रिकेटर एक्टिविस्ट नहीं बल्कि प्रभावित करने वाले व्यक्ति होते हैं, और समाज में बदलाव लाने में भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे भी कुछ लोग हैं जो बंद दरवाजों के पीछे वास्तविक योगदान दे रहे हैं, लेकिन आज के युग में दुनिया केवल उन्हें ही पहचानती है, जो सोशल मीडिया पर अपनी राय रखते हैं।

उन्होंने अंत में कहा: “हम क्रिकेटर हैं लेकिन हम एक ही समय में प्रभावशाली भी हैं। हो सकता है कि हम समुदायों में बहुत कुछ नहीं बदल सकते, लेकिन हम जागरूकता साझा करने में मदद कर सकते हैं। बहुत से लोग हमें फॉलो रहे हैं, हमारे इंस्टाग्राम, सोशल मीडिया पर हमारे द्वारा किए गए हार कार्य पर फंस की नजर होती, जहां हम प्रभावशाली लोगों के रूप में लोगो की मदद कर सकते हैं, और हम कोशिश भी करते हैं। लेकिन वहीं बहुत सारे ऐसे भी खिलाड़ी है जो सोशल मीडिया पर ये सब करना पसंद नहीं करते हैं, बल्कि वे बंद दरवाजों के पीछे कड़ी मेहनत करना पसंद करते हैं। मैंने देखा है कि लोगों को एक पोस्ट के लिए उन लोगों की तुलना में अधिक वाहवाही मिलती है जो वास्तव में बाहर जाकर लोगो की मदद कर रहे हैं और अंतर लाने की कोशिस कर रहे हैं।”

 

 

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