अगर चेतेश्वर पुजारा के पिता ने वो तस्वीर नहीं देखी होती, तो टीम इंडिया को पुजारा नहीं मिलता
अद्यतन - Jan 25, 2019 11:37 am

राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद टीम इंडिया के मध्यक्रम को कमजोर आंका जाने लगा था। हालांकि इसकी जगह अब पुजारा ने ले ली है। पुजारा को अब द्रविड़ के तौर पर टेस्ट क्रिकेट का महान बल्लेबाज़ भारत के लिए कहा जाने लगा है।
अक्टूबर 9 साल 2010 को टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में एक दुबला पतना नौजवान टीम में अपना टेस्ट डेब्यू करने के लिए आया। ऑस्ट्रेलिया टीम भारत दौरे पर थी। रिकी पोंटिंग की कप्तानी में कंगारू टीम भारत दौरे पर थी।

ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 478 रन बनाए। अपने पहले मैच की पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा ने केवल 4 रन बनाए और मिचेल जॉनसन का शिकार हो गएा।
दूसरी पारी में यह बल्लेबाज़ कुछ और ही सोचकर आया था। दूसरी पारी में 89 गेंदों में 72 रनों की पारी खेल डाली। जिसमें 7 चौके शामिल रहे।
ड्रेसिंग रूम में बैठे राहुल द्रविड़ पुजारा के अर्धशतक पर काफी तालियां बजा रहे थे।
टीम इंडिया ने टेस्ट मैच 7 विकेट से जीत लिया।लेकिन पुजारा का क्रिकेटर बनने का सफर काफी दिलचस्प है। सिर्फ एक तस्वीर की वजह से उनके पिता को अहसास हुआ कि उनके बेटे में बल्लेबाज़ कूट- कूट कर भरी हुई है।
25 जनवरी को हुआ जन्म

पुजारा का जन्म 25 जनवरी साल 1988 को हुआ। पुजारा ने जिस घर में जन्म लिया उस घर में अधिकतर लोग क्रिकेटर थे।
पुजारा के पिता अरविंद 1970 के दशक में सौराष्ट्र टीम के कप्तान रहे थे। पुजारा के चाचा बिपिन भी क्रिकेट रहे और अपनी जवानी में उन्होंने छोटे स्तर पर काफी क्रिकेट खेला।
एक फोटो ने पुजारा को बना दिया बल्लेबाज़

पुजरा जब करीब दो साल के रहे होंगे तो वह अपने भाईयों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे। पुजारा के रिश्ते के भाई गेंदबाज़ी करा रहे थे और पुजारा बल्ला हाथ में लिए पूरी तरह से तैयार थे। घर में किसी ने फोटो खींच लिया, फोटो क्रिकेटर पिता अरविंद के पास पहुंचा।
अरविंद ने फोटो को बहुत संजीदगी से देखा तो अपने 2 साल के बेटे के बल्ले की टेक्निक पकड़ने से हैरान रह गए। उन्हें लगा कि उनके बाद पुजारा भी बल्लेबाज़ी के लिए ही बना है।
कोच कर्सन घावरी ने तराशा हुनर

शुरुआती दौर में चेतेश्वर का फोकस गेंदबाज़ी करने पर था। पूर्व क्रिकेटर रहे कर्सन घावरी ने चेतेश्वर को समझाया कि तुम गेंदबाज़ी के लिए नहीं बल्लेबाज़ी के लिए बने हो, इसके बाद बल्लेबाज़ी पर ध्यान दिया और खूब मेहनत की।
पिता अरविंद बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना लेकर मुंबई आ गए। तब पुजारा की उम्र महज़ 10 साल थी। खूब परेशानियां और मशक्कतें उठाईं।
साल 2001 में 12 की उम्र में पुजारा ने अंडर 14 में खेलते हुए दोहरा शतक मारकर रिकॉर्ड बना दिया। 12 की उम्र में कोई क्रिकेटर ये कारनामा नहीं कर पाया था।
मौजूदा समय में ये बल्लेबाज़ 68 मैचों की 114 पारियों में 5426 रन बना चुका है। जिसमें 3 दोहरे शतक और 20 अर्धशतक शामिल हैं।