IPL इतिहास के वह 5 मौके जब एक बल्लेबाज खुद को रिटायर्ड आउट करके टीम के हित को आगे रख सकता था
इसमें ऐसे कुछ मैचों का जिक्र किया गया है, जहां बल्लेबाज खुद को रिटायर्ड आउट करके अपनी टीम के लिए बेहतर फैसला ले सकता था।
CricTracker जूनियर स्टाफ लेखिका
अद्यतन - Apr 25, 2022 6:44 pm

आइए बात करते हैं कुछ ऐसे मौकों कि जब बल्लेबाज के रिटायर्ड आउट होने से उनकी टीम को मदद मिल सकती थी। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) दुनियाभर में कई टूर्नामेंटों के लिए एक लेवल स्थापित कर रहा है। यह अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले उच्चतम स्तर के प्लेटफॉर्म के लिए जाना जाता है। IPL की सबसे अच्छी बात यह है कि यह न केवल भारतीय टीम की बेंच स्ट्रेंथ को बढ़ाता है, बल्कि अन्य टीमों की भी मदद करता है।
जहां खिलाड़ी टीम में जगह पाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, वहीं एक व्यक्ति रवि अश्विन है, जो सबसे बुद्धिमान रहें है। हम सभी ने देखा है कि कैसे यह स्मार्ट क्रिकेटर कई मौकों पर बल्लेबाजों को आउट करने में कामयाब रहा है। इस बार वह राजस्थान रॉयल्स के पक्ष में एक और नियम को सुर्खियों में लाने में सफल रहे हैं।
भले ही अश्विन शालीनता से बल्लेबाजी कर रहे थे, लेकिन उन्हें पता था कि लाइन-अप में कई शानदार हिटर हैं। प्रशंसकों के सभी उम्मीदों को अलग रखते हुए, यह सोचकर कि वह आगे धीरे खेल सकते हैं, उन्होंने ‘रिटायर्ड आउट’ नियम के तहत पवेलियन वापस आने का विकल्प चुना। उनके इस कदम ने फैंस को काफी प्रभावित किया। लेकिन, हमने ऐसे कई मौके देखे हैं जहां बल्लेबाज गेंदों को व्यर्थ करने के बजाय आसानी से रिटायर्ड आउट हो सकते थे।
यह रहे पांच मौके जब बल्लेबाज को आईपीएल (IPL) में रिटायर्ड आउट होना चाहिए था:
1 – पार्थिव पटेल : 58 गेंदों में 57 रन – आईपीएल (IPL) 2010 सीएसके (CSK) बनाम किंग्स इलेवन (KXI)

2010 के IPL सीजन में चेन्नई के प्रशंसकों के लिए खास था। पहले सीजन में दूसरे और दूसरे सीजन में चौथे स्थान पर आने के बाद, उन्होंने तीसरा सीजन जीता। लेकिन उनकी सफलता की राह थोड़ी मुश्किल थी।
कुछ मैचों में चेन्नई अपनी क्षमता से काफी नीचे खेल रहे थे। एक उदाहरण है पंजाब के खिलाफ उनका मैच। पंजाब ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 136 रन बनाए। यह CSK के लिए आसान चेज जैसा लग रहा था। लेकिन, इसके बाद की कहानी सीएसके (CSK) के प्रशंसकों के लिए निराशा से कम नहीं थी।
सलामी बल्लेबाज पटेल ने 58 गेंदों में 57 रन बनाए। चूंकि उन्होंने लगभग आधी पारी व्यर्थ कर दी थी, इसलिए बाकी बल्लेबाजी क्रम के लिए यह एक मुश्किल काम था। मान लीजिए, अगर वह रिटायर्ड आउट हो जाते तो चेन्नई ने खेल को आसानी से समाप्त कर दिया होता। सुरेश रैना, विजय, बद्रीनाथ, एल्बी और गोनी जैसे नामों के साथ 136 चेन्नई के लिए बहुत बड़ा स्कोर नहीं था।