सचिन तेंदुलकर को लेकर रवि शास्त्री ने किया बड़ा खुलासा, कहा- उन्होंने कई बार खुद को अकेला पाया
1990 में मैनचेस्टर में उनका पहला टेस्ट शतक हर किसी को याद होगा।
अद्यतन - मार्च 29, 2023 11:39 पूर्वाह्न
दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार भारत के पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की तारीफ अक्सर बड़े बड़े दिग्गज खिलाड़ी करते रहते हैं। जब सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था अगर उसकी तुलना आज के समय खेले जा रहे क्रिकेट से करें तो वो पूरी तरह से अलग है। मास्टर ब्लास्टर से पहले कई खिलाड़ियों में क्रिकेट को लेकर कोई जूनून नहीं था वे बस इसे खेल की तरह समझते थे।
सचिन तेंदुलकर ने कई रिकॉर्ड बनाए, बेहतरीन प्रदर्शन कर समय के साथ सबसे महान बल्लेबाज बन गए। इतना ही नहीं उनकी वजह से भारत के लोगों में क्रिकेट को लेकर जूनून पैदा हुआ। हालांकि उनके करियर में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। कभी चोट के कारण तो कभी कप्तानी। उन्होंने विश्व कप में कप्तानी का भी दवाब झेला। पांच वर्ल्ड कप हारने के बाद आखिरकार महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में 2011 में खेले गए विश्वकप में वह टीम इंडिया की जीत का हिस्सा बने।
उन्होंने कई बार खुद को अकेला पाया-रवि शास्त्री
वहीं हाल ही में टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने ABC ऑस्ट्रेलिया डॉक्यूमेंट्री “ब्रैडमैन और सचिन द अनटोल्ड स्टोरी” में सचिन तेंदुलकर से जुड़े कुछ बातों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि, कोई भी दवाब सचिन पर उतना हावी नहीं था जितना कि उम्मीदों का बोझ जिसका सामना उन्होंने किया था। हर बार जब वह मैदान में उतरते तो पूरा देश उन्हें बैठकर देखता और उम्मीद करता कि वह शतक कब बनाएंगे? और अगर वह नहीं शतक बना पाते थे तो इसे अपनी असफलता मानते थे।
रवि शास्त्री ने कहा कि, मुझे पता है कि उन्होंने कई बार खुद को अकेला पाया क्योंकि जब आप उन ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं तो आप खुद को अकेला महसूस करते हैं क्योंकि वहां सिर्फ आप ही हैं जो समझते हैं कि क्या हो रहा है। तेंदुलकर जिन्होंने 16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था, उन्हें काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। लेकिन उन्होंने अपने करियर में प्रगति की और 1990 में मैनचेस्टर में उनका टेस्ट शतक हर किसी को याद होगा।
सिडनी में 148 और पर्थ में उन्होंने 114 रनों की तूफानी पारी खेली थी जिसे आज भी सब याद करते हैं। उन्होंने कहा कि, तब मैंने पहली बार 22 गज की दूरी से ऐसा क्रिकेट देखा था। रन बनाना एक बात है और 18 साल की उम्र में एक खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया पर हावी होते हुए देखना दूसरी बात है। तब लगा यह अलग स्तर का खिलाड़ी है और यही वह जगह है जहां वह सचिन से ब्रेडमैन की ओर बढ़ रहे थे।