मजदूर का बेटा होने के बावजूद भी भारत के खिलाड़ी उमेश ने हिम्मत नही हारी
अद्यतन - नवम्बर 22, 2017 8:42 अपराह्न
क्रिकेट एक ऐसा खेल है कि अगर खिलाड़ी की किस्मत और मेहनत रंग लाई तो खिलाड़ी फर्स से अर्स तक पहुंच जाता है कुछ ऐसा ही हुआ भारतीय खिलाड़ी उमेश यादव के साथ. पिता की माली हालत खराब होने के बावजूद उमेश यादव ने अपनी मेहनत और लगन से अपना किस्मत लिखा और आज भारत के शानदार खिलाड़ी बने हुए है.
नागपुर में 25 अक्टूबर 1987 को उमेश यादव का जन्म हुआ उमेश के पिता तिलक यादव की माली हालत ठीक नहीं थी. पिता तिलक यादव यूपी के रहने वाले थे लेकिन अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए नागपुर के कोयला खदान में मजदूरी करने लगे हैं तिलक यादव का सपना था अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देना और बड़े-बड़े कॉलेजों में एडमिशन करवा अपने बच्चों का भविष्य बनाना.
पिता तिलक यादव का सपना पूरा नही हो सका क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें घर भी चलाने में काफी परेशानी हो रही थी ऐसे में बच्चों को उच्च शिक्षा देना नामुमकिन था. लेकिन उमेश में काबिलियत थी जिसकी वजह से उमेश ने क्रिकेट में करियर बनाने की ठानी उनके इस फैसले में उन्हें अपने पिता का साथ भी मिला. लेकिन उनके पिता की दिली इच्छा थी वो पुलिस ऑफिसर बने.
उमेश यादव को 20 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलने का मौका मिला लेकिन साल 2008 में उमेश को रणजी में खेलने का सबसे सुनहरा अवसर मिला जिसमें बेहतर परफॉर्मेंस के साथ 4 विकेट लेकर 75 रन ही दिए जिसकी वजह से उन्हें दिलीप ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला. अब उमेश क्रिकेट की दुनिया मे छाने लगे थे और साल 2010 में उनके किस्मत ने करवट ली उन्हें आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स ने 18 लाख में आईपीएल मैच खलने के लिए खरीदा. अब उमेश की गरीबी उनसे कोसो दूर जाने लगी क्योंकि लगातार 2010 में वनडे और 2011 में टेस्ट Mके डेब्यू करने का मौका मिला.