‘जब उसको दोपहर का खाना दिया तो…..’- कुमार कार्तिकेय की यह कहानी सुनकर आपकी भी आंखें हो जाएंगी नम
हाल ही में चोटिल अरशद खान के स्थान पर मुंबई इंडियंस ने कार्तिकेय को टीम में शामिल किया था।
अद्यतन - मई 6, 2022 6:52 अपराह्न

आईपीएल हमेशा से ही युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के लिए एक बड़ा मंच साबित हुआ है। भारतीय क्रिकेट में कई स्टार खिलाड़ी आईपीएल में खेलकर पूरी दुनिया में नाम कमाया है। आईपीएल के 15वें सीजन में भी ऐसे कई खिलाड़ी सामने आए हैं, जिन्हें इससे पहले शायद ही कोई पहचानते थे। आयुष बदोनी, तिलक वर्मा, जीतेश शर्मा जैसे खिलाड़ी इस लिस्ट में अपना नाम पहले ही दर्ज करवा चुके हैं लेकिन अब जिस खिलाड़ी ने इस सूचि में अपना शामिल करवाया है वो और कोई नहीं बल्कि मुंबई इंडियंस के कुमार कार्तिकेय हैं।
बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ आईपीएल में डेब्यू किया और अपनी विविधताओं से विशेषज्ञों और प्रशंसकों को समान रूप से प्रभावित किया। उन्होंने रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन को अपने पहले विकेट के रूप में आउट किया और अपने चार ओवर के स्पेल में महज 19 रन खर्च किए। हालांकि जिस तरह से उन्होंने अपने पहले मैच में विवधताओं का इस्तेमाल किया, उससे यह साबित हुआ कि खिलाड़ी में आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं है।
कार्तिकेय, जिनके पिता एक कॉन्स्टेबल थे, वो 15 साल की उम्र में कानपुर से दिल्ली आ गए थे, उसने अपने परिवार से वादा किया था कि वह पैसों के लिए उनपर निर्भर नहीं रहेगा। कई अकादमियों के दरवाजे खटखटाने के बाद, वो संजय भारद्वाज से मिले, जो उनकी विकट स्थिति को जानने के बाद उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग देने के लिए तैयार हो गए।
हालांकि यह एक युवा कार्तिकेय के संघर्ष का अंत नहीं था, क्योंकि वो अपना खर्च चलाने के लिए भारद्वाज की अकादमी से 80 किमी दूर स्थित एक गांव में कारखाने में नौकरी करते थे। वहां पूरी रात काम करने के बाद, वह पैदल ही अकादमी जाते थे ताकि आने-जाने पर होने वाला खर्च बच सके और इसके बदले कुछ बिस्कुट खरीद सकें। उनके दुख के बारे में जानने के बाद, भारद्वाज ने उन्हें अकादमी के रसोइए के साथ रहने को कहा।
एक साल तक कार्तिकेय ने दिन में खाना ही नहीं खाया- संजय भारद्वाज
भारद्वाज, जिन्होंने गौतम गंभीर और अमित मिश्रा की पसंद को कोचिंग दी है, उन्होंने ईएसपीएनक्रिकइन्फो के हवाले से कहा कि, “जब कुक ने उसको दोपहर का खाना दिया तो वो रो पड़ा था। क्योंकि उसने बीते 1 साल से दिन में खाना खाया ही नहीं था। जब कार्तिकेय स्थानीय टूर्नामेंटों में ढेर सारे विकेट हासिल करने के बावजूद डीडीसीए ट्रायल में जगह नहीं बना सके, तो कोच भारद्वाज ने उन्हें मध्य प्रदेश ले जाने का फैसला किया, जहां ट्रायल्स में उनके प्रभावशाली प्रदर्शन देखने के बाद उन्हें रणजी में डेब्यू करने का मौका मिला।
भारद्वाज ने आगे कहा कि, “उसकी क्षमता और समर्पण को देखते हुए मैंने उसे अपने दोस्त और शहडोल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अजय द्विवेदी के पास भेजा। उन्होंने वहां डिवीजन क्रिकेट खेला और अपने पहले दो वर्षों में 50 से अधिक विकेट लिए।”
उन्होंने अंत में यह भी कहा कि, ‘जब भी वह फ्री होता है तो नेट्स में गेंदबाजी करना शुरू कर देता है। कई बार वह देर रात इंदौर में मैचों से वापस आता है और लाइट जलाकर अगले दो-तीन घंटे नेट में बिताता है। पिछले 9 वर्षों में मैंने उनके जूनून को सिर्फ बढ़ते हुए देखा है।”