मयंक अग्रवाल को अब तक है इस बात का अफसोस
अद्यतन - जनवरी 10, 2019 10:14 अपराह्न
भारत ने हाल ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में सीरिज जीती है। यह कारनामा करने वाला भारत एशिया का पहला देश है। जाहिर सी बात है कि बधाइयों का तांता लगा हुआ है। पड़ोसी मुल्क के इमरान खान, वसीम अकरम, शोएब अख्तर, मोइन खान जैसे खिलाड़ियों ने भी टीम इंडिया की तारीफ की है और खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतरीन बताया है।
चेतेश्वर पुजारा, जसप्रीत बुमराह, विराट कोहली, ऋषभ पंत, कुलदीप यादव, रवीन्द्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने जबरदस्त खेल दिखाया। इनके बीच एक नाम मयंक अग्रवाल का भी है, जिनका योगदान आप ‘छोटा’ भी माने तो भी महत्वपूर्ण है। उन्हें इस ऑस्ट्रेलियाई दौरे की खोज भी कहा जा सकता है।
बॉक्सिंड डे पर मयंक को टेस्ट कैप मिली। मेलबर्न में हजारों दर्शकों के सामने 76 और 42 रनों की पारियां खेली। सिडनी में हुए अगले टेस्ट मैच में उन्होंने 77 रन बना दिए। ओपनर्स की समस्या से जूझ रही टीम इंडिया की परेशानी उन्होंने थोड़ी कम कर दी। मयंक की पारी में ठोस तकनीक नजर आई। कमजोर गेंदों को उन्होंने नहीं छोड़ा।
तीन पारियों में मयंक को सिडनी में अपने आउट होने के तरीके पर अफसोस है। वे निहायत ही गैरजिम्मेदाराना शॉट लगा कर आउट हो गए। ऑस्ट्रलियाई गेंदबाज नाथन लायन को उन्होंने छक्का मारा। अगली गेंद पर फिर वे यह कारनामा दोहराने गए और लांग ऑन पर खड़े खिलाड़ी को कैच थमा बैठे। इस तरह से वे शतक लगाने का मौका चूक गए।
मयंक को भी इस बात का अफसोस है। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा ‘मुझे मेलबर्न में आउट होने का कोई मलाल नहीं है क्योंकि पेट कमिंस की गेंद ही शानदार थी, लेकिन सिडनी में आउट होने का अफसोस है। मैं अपने आप से बहुत नाराज था। यहां बात शतक की नहीं है बल्कि बड़े स्कोर की है जो मैं बना सकता था। मैं इसलिए निराश था क्योंकि मैंने अपना विकेट थ्रो कर दिया था। मैंने इस बात का सबक सीखा है जो आगे मेरे लिए काम आएगा।’
मयंक की इस बात के लिए तारीफ की जा सकती है कि उन्होंने अपनी इस बात को ईमानदारी से स्वीकारा है। बचाव में कोई फिजूल के तर्क नहीं दिए हैं। उम्मीद है कि टेस्ट शतक लगाने का मौका जल्दी ही उनके पास होगा।