बोलने की बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ी- यॉर्कशायर नस्लवाद मामले पर अजीम रफीक का छलका दर्द  - क्रिकट्रैकर हिंदी

बोलने की बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ी- यॉर्कशायर नस्लवाद मामले पर अजीम रफीक का छलका दर्द 

किसी भी इंसान को उस दौर से नहीं गुजरना चाहिए जिससे मैं और मेरा परिवार अब गुजर रहे हैं- अजीम रफीक

Azeem Rafiq
Azeem Rafiq. (Photo by Charlie Crowhurst/Getty Images)

यॉर्कशायर के पूर्व क्रिकेटर अजीम रफीक की इंग्लिश क्रिकेट में नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई अभी भी जारी है। और उन्हें इस दौरान काफी कुछ सहना पड़ रहा है। 31 वर्षीय खिलाड़ी ने 18 नवंबर को खुलासा किया कि रिपोर्ट दर्ज करने के बाद से वह किस तरह के माहौल से गुजर रहे हैं।

बता कि इस आरोप के बाद अजीम रफीक को काफी कुछ सहना पड़ रहा है। और इसकी वजह से रफीक ने पाकिस्तान शिफ्ट होने का फैसला किया है। ईएसपीएन क्रिकइंफो के स्विच हिट पॉडकास्ट पर उस्मान समीउद्दीन से बात करते हुए अजीम रफीक ने काफी चौंकाने वाली बातें बताई हैं।

अजीम रफीक ने दिया बड़ा बयान

अजीम रफीक ने समीउद्दीन से बात करते हुए काउंटी क्रिकेट और इंग्लैंड को लेकर भी काफी कुछ कहा है। रफीक ने कहा कि मैं अपने आप से इस सब को अलग करना चाहता था। क्योंकि मैंने काफी परेशानी खड़ी कर ली है। लेकिन मुझे लगता है कि मुझे इसे और अधिक करने के लिए प्रेरित किया गया है।

क्योंकि जितनी बार हम मैं इस पर बात करता हूं मैं अपने लिए सदमा पैदा कर रहा हूं। हर बार जब मैं अपने सिर पर हाथ रखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं अपना भविष्य खराब कर रहा हूं। सेलेक्ट कमेटी से बहुत उम्मीद है और मैं आशावादी हूं। आशा है आगे चीजें और अच्छी होंगी और मैं बिना खेद के इसे जारी रखूंगा।

मैं उस जगह को नहीं छोड़ना चाहता जिसे मैंने 21 साल घर कहा- रफीक

अजीम रफीक ने आगे बताया कि क्या मैंने सोचा था कि मुझे वह जगह छोड़नी पड़ेगी जिसे मैं 21 साल तक घर कहता था? नहीं। क्या मुझे लगा था कि मेरे परिवार को इस तरह से निशाना बनाया जाएगा? नहीं, यह सब साबित करता है- मेरे जो आरोप हैं वे सही हैं।

इसके अलावा रफीक ने कहा कि अब दो साल से अधिक हो गए हैं और मुझे इसका कोई अंत नहीं दिख रहा है। चाहे मुझसे सब कुछ छीन लिया जाए, लेकिन मुझे अल्लाह पर पूरा भरोसा है। वे मुझे डराने वाले नहीं हैं, लेकिन वे मुझे पीछे धकेलने वाले हैं, वे मुझे रोकने वाले नहीं हैं।

क्योंकि, जैसा कि मैंने कहा, बोलने से पहले का सदमा बहुत बड़ा था, लेकिन अब जो है वह समझ से बाहर है। किसी भी इंसान को उस दौर से नहीं गुजरना चाहिए जिससे मैं और मेरा परिवार इस वक्त गुजर रहे हैं।

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