धोनी की इस बात से नाराज थे गौतम गंभीर, बरसों बाद खुद बताया राज
अद्यतन - जनवरी 14, 2019 2:14 अपराह्न
2011 में भारत ने श्रीलंका को हराकर 38 साल बाद विश्व कप जीता था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम विश्व कप के फाइनल में गौतम गंभीर ने 97 रनों की जबदस्त पारी खेलकर टीम को खिताब जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि साल के अंत में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर स्थितियां उस समय बदल गई जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोटेशन नीति अपना ली।
महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि युवाओं को मौका देने के लिए सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों को आराम देना होगा। इसके लिए रोटेशन नीति अपनाई गई। हालांकि गौतम गंभीर ने हाल ही में एक बयान देते हुए कहा कि वह इस बात के समर्थन में नहीं थे। उन्होंने इस नीति के लिए कप्तान धोनी की आलोचना भी की। हालांकि रोटेशन नीति के बाद से ही इन दोनों खिलाड़ियों के संबंधों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था।
संबंधों पर क्यों बोले गंभीर : टीम इंडिया के पूर्व धमाकेदार सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने धोनी से संबंधों पर कहा कि उन दोनों संबंध शुरू से ही बेहतर रहे हैं। उन दोनों ने साथ में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। दिसंबर में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले गंभीर ने कहा कि इस तरह की अटकलों पर बयान देने की कोई आवश्यकता नहीं है, यहां तक कि धोनी ने भी कभी इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।
उन्होंने कहा कि हम दोनों शुरू से ही अच्छे दोस्त रहे हैं। बेंगलुरू में भारतीय टीम के कैंप में हमने कमरा भी शेयर किया था। हमने देश के लिए साथ में कई जबरदस्त पारियां खेली है। कई खट्टे और मीठे पल साथ में बिताए हैं। ऐसे में हमारे बीच मतभेद कैसे हो सकते हैं।
गंभीर ने द क्विंट के साथ चर्चा में कहा कि मैने कभी इस पर स्पष्टीकरण नहीं दिया क्योकि मुझे लगता है कि सही बातों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। अफवाहों को स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं होती।
रोटेशन पॉलिसी पर इस तरह जताई नाराजगी : धोनी की रोटेशन पॉलिसी पर उन्होंने कहा कि 2015 को प्लान करने के लिए 2012 बहुत जल्दी होता है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ऐसा करने की आवश्यकता नहीं होती। आपको ऐसे 11 खिलाड़ी ही टीम में चुनने चाहिए जो आपको मैच में जीत दिला सके। उन्होंने कहा कि यह मेरी बात नहीं थी, यह देश की बात थी। वह कप्तान थे और उन्होंने ही यह निर्णय लिया था। मेरे लिए यह आश्चर्यजनक था कि उन्होंने यह निर्णय लिया था।